केंद्र सरकार, बहुत जल्द देश में ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों को लागू करने जा रही है। ई-कॉमर्स व्यापार के लिए काफी समय से लंबित पड़ी ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों के घोषित होने का फायदा ग्राहकों और रिटेल व्यापारियों को पहुंचेगा। इस पॉलिसी को तैयार करने में लगभग दो वर्ष लगे हैं। वाणिज्य मंत्रालय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय और सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच लगभग 80 बैठकें हुई हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से हुई मुलाकात के बाद यह बात कही है। गोयल ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनके अमेरिका से लौटते ही देश में ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों को लागू कर दिया जाएगा। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री, इंडो पैसेफिक इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग में भाग लेने के लिए 4 दिन की यात्रा पर अमेरिका गए हैं। वे 17 नवंबर को स्वदेश लौटेंगे।
उपभोक्ताओं एवं छोटे व्यापारियों के हितों का रखा गया ख़्याल
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से हुई खंडेलवाल की मुलाकात में यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ई-कॉमर्स व्यापार को सही रूप से परिभाषित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियम पूर्ण रूप से तैयार हैं। जिस तरह से देश में तेजी से ई-कॉमर्स का विस्तार हो रहा है, उसके मद्देनजर बहुत सोच समझ कर नए नियम बनाए गए हैं। सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ सामूहिक एवं व्यक्तिगत, दोनों तरह से चर्चा की गई है। ई-कॉमर्स पॉलिसी में खासतौर पर उपभोक्ताओं एवं छोटे व्यापारियों के हितों का बहुत ख़्याल रखा गया है। ई-कॉमर्स के ज़रिए देश में एक पारदर्शी एवं समानता तथा जिम्मेदारी के आधार पर व्यापार व्यवस्था को निर्मित करने को महत्व दिया गया है। पीयूष गोयल ने खंडेलवाल से कहा, प्रधानमंत्री मोदी के इस दीवाली पर ‘वोकल फॉर लोकल’, के आह्वान का जबरदस्त असर देखने को मिला है।
भारतीय उत्पादों की जमकर खरीदारी
लोगों ने दीवाली पर भारतीय उत्पादों की जमकर खरीदारी की है। इससे भारतीय निर्माताओं का विश्वास मजबूत हुआ है। वे अब और ज्यादा कुशलता के साथ उच्च क्वालिटी के उत्पाद भारत में ही बना सकेंगे। इससे लोकल मांग पूरी होने के साथ ही दुनिया भर में निर्यात भी बढ़ेगा। उन्होंने कैट के स्लोगन ‘भारतीय उत्पाद-सबका उस्ताद’ को बेहद तार्किक बताया। खंडेलवाल का कहना है कि देश में ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों की सख्त जरूरत है। वर्तमान में चल रहे ई-कॉमर्स व्यापार में कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर अस्वस्थ व्यापारिक मॉडल के जरिए अपनी मनमानी की जा रही है। एफडीआई पॉलिसी का उल्लंघन किया जा रहा है। देश के रिटेल बाजार को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। इन कंपनियों द्वारा अपने ई-कॉमर्स पोर्टल के द्वारा बेचे जा रहे सामानों की कोई जिम्मेदारी न लेने से उपभोक्ता भी ठगा जा रहा है।
ई-कॉमर्स देश में भविष्य का बाजार
ई-कॉमर्स देश में भविष्य का बाजार है, इसलिए ई-कॉमर्स के लिए एक मजबूत पॉलिसी एवं नियमों की बहुत आवश्यकता है। गोयल के इस ठोस आश्वासन को देखते हुए अब देश भर के 9 करोड़ से अधिक व्यापारी ई-कॉमर्स पॉलिसी एवं नियमों के लागू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके माध्यम से वे भी बड़ी मात्रा में अपनी दुकानों के अलावा ऑनलाइन के जरिए अपनी बिक्री में वृद्धि करेंगे।