नई दिल्ली: मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (एमएलजेके-एमए) को आज सरकार ने बैन कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी गृहमंत्री अमित शाह ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर को बैन करने की जानकारी शेयर की। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा- भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश स्पष्ट और साफ है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को कानून के पूर्ण प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।
मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर की कमान मसरत आलम के हाथों में थी। सरकार ने कहा है कि यह संगठन जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल है। यह अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा है। कौन है मसरत आलम? आइए, जानते हैं –
- मसरत आलम भट्ट जम्मू कश्मीर मुस्लिम लीग का अध्यक्ष है। वह ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गिलानी गुट के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में भी काम करता है।
- मसरत ने 2010 की कश्मीर पथराव रैलियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- 2010 में विरोध कैलेंडर जारी करने के लिए केंद्र ने मसरत आलम की गिरफ्तारी के लिए इनाम की घोषणा की थी जिसके बाद वह भाग गया था। उसी साल के अंत में मसरत आलम को गिरफ्तार कर लिया गया। 2015 की शुरुआत तक वह हिरासत में रहा।
- सरकार ने मसरत आलम पर 27 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर में उसे अदालतों ने या तो दोषमुक्त कर दिया या जमानत दे दी है। 2015 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के जम्मू-कश्मीर के सीएम के रूप में पदभार संभालने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था।
- मसरत आलम को अप्रैल 2015 में कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर में पाकिस्तान का झंडा फहराने और भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
- मसरत आलम ने 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का समर्थन किया था। आलम ने जवाब में भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए थे, जिनमें हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों का समर्थन भी शामिल था।
- कश्मीर बाढ़ आपदा के बाद मसरत ने यह कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि कश्मीर घाटी को प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में लोगों को बचाने के लिए भारतीय बलों की जरूरत नहीं है।
- मसरत की ‘कश्मीर घाटी में आईएसआई का नया पोस्टर बॉय’ होने के लिए आलोचना की गई है।
- मसरत आलम भट्ट 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।