नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर सरकार से राज्य में मई 2023 से जातीय हिंसा के दौरान आगजनी की वजह से क्षतिग्रस्त हुई संपत्तियों और कब्जा की गई संपत्तियों का ब्यौरा मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे उन सभी संपत्तियों की जानकारी चाहिए जो या तो पूरी तरह से या आंशिक तौर पर जली है। कोर्ट ने राज्य सरकार से उपद्रवियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी देने को कहा है।
कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को इन घटनाओं में दोषियों और कब्जा करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में देनी होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस याचिका पर 20 जनवरी से शुरू होने वाले हफ्ते में सुनवाई तय की है।
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला जजों की एक समिति के गठन का आदेश दिया था। इस समिति को पीड़ितों के राहत-पुनर्वास के अलावा उनको दिए जाने वाले मुआवजे की निगरानी करनी थी। इसके अलावा मणिपुर में आपराधिक मामलों की जांच के लिए महाराष्ट्र के पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसगिकर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
मणिपुर में 3 मई 2023 को भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। यह हिंसा पहाड़ी जिलों में कुकी समुदाय की तरफ से प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी, जिसमें मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति वर्ग की मांग का विरोध किया गया था।