अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने राजकोट में जलकर खाक हो गए टीआरपी गेमिंग जोन के उद्घाटन समारोह में कई वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने पर नाराजगी व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार केवल निचले स्तर के अधिकारियों को पकड़ रही है और बड़ी मछलियों को छोड़ रही है। इस बात की गहराई से जांच होनी चाहिए कि जिस दिन से गेमिंग जोन का निर्माण शुरू हुआ, तब से लेकर इसके पूरा होने तक किसकी गलती थी। आगे बोले कि इसके उद्घाटन समारोह में शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया था। आपने केवल निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित किया है। इस मामले में शीर्ष अधिकारियों को भी जाना होगा। नगर निगम आयुक्त यह नहीं कह सकते कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि विगत माह राजकोट गेमिंग जोन में हुए अग्निकांड में 27 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार से सोमवार तक शहरी विकास एवं शहरी आवास विभाग के प्रधान सचिव के अधीन एक समिति गठित करने को कहा। इस समिति को चार जुलाई तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके साथ ही पीठ ने राज्य शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को राज्य में प्री-स्कूलों सहित सभी श्रेणियों के स्कूलों में अग्निसुरक्षा के पुख्ता इंतजाम को जांचने के लिए टीमें गठित करने का निर्देश दिया। इस कार्य को एक माह में पूरा करना होगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि राजकोट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त और जिला विकास अधिकारी ने गेमिंग जोन के उद्घाटन समारोह में शिरकत की थी।
हाल के दिनों में हुई मोरबी पुल त्रासदी और हरनी झील की घटना का जिक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने शहरी स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। कहा कि मोरबी में पुल ढहने की घटना के मामले में आपने लंबे समय तक एसआइटी की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया। यह बहुत देर से आई।