बच्चे की ग्रोथ के लिए कई कारक अहम और जिम्मेदार होते हैं। बच्चों के ब्रेन के पिट्यूटरी ग्लैंड से ग्रोथ हार्मोन रिलीज होता है। इस हार्मोन को बच्चे के विकास के लिए काफी ज्यादा जरूरी माना जाता है। इस हार्मोन से बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों का विकास होता है। बच्चों के सही ग्रोथ के लिए इस हार्मोन के लेवल का सही होना काफी ज्यादा जरूरी होता है। यदि इस हार्मोन में कमी होने लगे तो बच्चे को कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं।
आनुवंशिक
ग्रोथ हार्मोन के रिलीज होने की प्रक्रिया कुछ आनुवंशिक बदलावों के कारण बाधित हो सकती हैं। यह बदलाव पिट्यूटरी ग्लैंज को प्रभावित भी कर सकता है। जिससे इस हार्मोन में कमी आने लगती है।
कॉग्नेटल कंडिशन
कॉग्नेटल कंडिशन (जन्मजात स्थितियों) जैसे प्रेडर-विली सिंड्रोम व टर्नर सिंड्रोम और ऑप्टिक डिसप्लेसिया आदि के साथ जिन बच्चों का जन्म होता है। उनमें ग्रोथ हार्मोन की कमी का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन ट्यूमर
ग्रोथ हार्मोन के रिलीज के साथ ही ब्रेन ट्यूमर इसके सामान्य कार्य को बाधित कर सकता है। ब्रेन की सर्जरी या उस हिस्से में लेजर थेरेपी के कारण भी यह ग्रोथ हार्मोन को प्रभावित करने का काम कर सकती है।
इंफेक्शन और सूजन
ब्रेन को प्रभावित करने वाले इंफेक्शन, जैसे मेनिनजाइटिस या एन्सेफलाइटिस पिट्यूटरी ग्रंथि को दबाव डाल सकते हैं। इससे ग्रोथ हार्मोन में कमी आ सकती है।
ग्रोथ हार्मोन की कमी के लक्षण
ग्रोथ का रुकना
बच्चे में इस हार्मोन की कमी होने पर उसकी ग्रोथ रुक जाती है। या फिर ग्रोथ धीमी हो जाती है। ऐसे में बच्चा अपनी उम्र के अन्य बच्चों से छोटा रह जाता है।
प्यूबर्टी का डिले होना
बता दें कि बच्चे में ग्रोथ के अलावा, ग्रोथ हार्मोन प्यूबर्टी में भी मुख्य भूमिका निभाता है। इस हार्मोन की कमी होने पर किशोरों की प्यूबर्टी में देरी हो सकती है।
कमजोर मांसपेशियां
ग्रोथ हार्मोन की कमी से बच्चे मांसपेशियों की ग्रोथ प्रभावित हो जाती है। इससे बच्चे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
एनर्जी की कमी
ग्रोथ हार्मोन में कमी होने पर बच्चों का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है। बता दें शरीर के सभी अंगो को मेटाबॉलिज्म एनर्जी प्रदान करता है। लेकिन इसकी कमी से बच्चे में एनर्जी की कमी देखी जा सकती है।
कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना
ग्रोथ हार्मोन की कमी होने पर बच्चे के लिपिड प्रोफाइल में बदलाव हो सकते हैं। जिसके कारण एलडीएल कोलेस्ट्रॉल यानी की खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
सोशल और भावनात्मक चुनौती
ग्रोथ हार्मोन की वजह से जिन बच्चों का कद छोटा रह जाता है, उनको सामाजिक व भावनात्मक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।