सांस की बीमारी में सांस फूलने लगती है. जब हमारे फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीज़न पहुँचने में कठिनाई होने लगती है तब सांस फूलने लगती है. जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, छाती में जकड़न, सांस के द्वारा अंदर पर्याप्त वायु न खींच पाना इत्यादि दिक्कत होने लगती है. यह काफी बेचैनी भरा हो सकता है. कुछ ज्यादा मेहनत या तनाव भरा काम करने से सांस फूलना आम बात है, पर बिना किसी प्रकार के मेहनत किए बिना यदि अचानक सांस फूलने की समस्या होती हो तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है, इसकी चिकित्सीय जाँच करानी चाहिए. आइये आगे सांस की बीमारी के इलाज के बारे में जानते हैं.
सांस फूलने के लक्षण
- सांस फूलने के दौरान फेफड़े को पर्याप्त वायु नहीं मिल पाती है जिस कारण से सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है. मरीज गहरी सांस न ले पाता है या छाती में जकड़न महसूस होती है.
- सांस फूलने के समस्या से ग्रसित लोगों में यदि निम्न लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो यह चिंता का विषय हो सकता है:
- छाती में बेचैनी महसूस होना
- दिल जोर-जोर से धड़कना या धड़कन तेज होना या बीच-बीच में धड़कन रुकना
- आराम करने के दौरान भी सांस फूलना
- रात के समय पसीना आना
- वजन कम होना
- हलचल, विभ्रांति या चेतना का स्तर कम होना
- यदि सांस फूलने की समस्या के साथ-साथ बुखार आए, ठंड लगे, खांसी हो या सांस लेने में सीने से घरघराहट की आवाज आए, पैर और टखनों में सूजन हो या सीधा लेट जाने पर भी सांस लेने में कठिनाई हो रही हो तो जल्द डॉक्टर से दिखाकर जाँच करानी चाहिए.
सांस फूलने के कारण और जोखिम कारक
कुछ लोगों को अचानक सांस फुलने की समस्या महसूस होती है. यह सांस फूलना कुछ लोगों को थोड़े समय के लिए तो कुछ लोगों को लंबे समय तक के लिए होता है. यदि नियमित रूप से सांस फूलने की समस्या हो तो इसके कारण सामान्य व गंभीर कुछ भी हो सकता है. पर अचानक सांस फूलने की शिकायत हो तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए. सांस फूलने की समस्या यदि हमेशा होती है तो इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे वायु प्रदूषण या हवा में एलर्जिक पदार्थ का होना, चिंता, धूम्रपान करना या शरीर का बेडौल होना या वजन अधिक होना इत्यादि. इसके अलावा अधिक तापमान बढ़ने से या अत्यधिक या जोरदार व्यायाम करने से भी सांस फूल सकती है.
नियमित रूप से सांस फूलने की समस्या किसी अत्यधिक गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकता है, जो दिल या फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है. दिल व फेफड़े हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं और कार्बनडाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालते हैं. किसी भी कारण से जब इन कार्यों में बाधा हो तो सांस फूलने की समस्या हो सकती है. कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जो दिल व फेफड़ों को प्रभावित करती है और इस कारण से सांस फूलने की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जैसे एनीमिया, दिल के कार्यों में असामान्यता, अस्थमा (दमा), फेफड़ों में कैंसर, क्रोनिक
ओब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी रोग (सीओपीडी COPD), फेफड़ों से
संबंधित रोग जैसे प्लोरिसी, तपेदिक आदि. सांस फूलने की एक्यूट समस्या के कुछ अन्य लक्षण होते हैं जो मेडिकल इमरजेंसी का संकेत देती है, जैसे फेफड़ों में खून के थक्के जमना, कार्बन मोनोक्साइड पोइजनिंग, किसी बाहरी चीजों या पदार्थ का सांस द्वारा अंदर खींचना या श्वसन मार्ग का अवरुद्ध होना, दिल का दौरा पड़ना या हार्ट फेल होना, दिल में सूजन या दिल का आकार बढ़ना, गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया इत्यादि
सांस फूलने का इलाज
सांस फूलने की बीमारी का इलाज इसके कारणों के आधार पर किया जाता है. जिन लोगों में खून में ऑक्सीज़न की मात्रा की कमी के कारण सांस फूलती हो तो उन्हें प्लास्टिक नेजल स्प्रे या प्लास्टिक मास्क का उपयोग करके ऑक्सीज़न सपलीमेंट दिये जाते हैं. गंभीर मामलों में ब्रेथिंग वेंटिलेशन के माध्यम से ऑक्सीज़न दिया जाता है. सांस फूलने की समस्या यदि मेडिकल इमरजेंसी हो तो तुरंत डॉक्टर से दिखाकर उचित इलाज करानी चाहिए. पर यदि सांस फुलने की समस्या का कारण मालूम हो और वह कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं हो तो निम्न घरेलू तरीके का उपयोग किया जा सकता है:
आरामदायक स्थिति में रहना
लेटने या खड़े होने में आरामदायक स्थिति में रहना सांस फूलने की समस्या को कम करने में बहुत ही लाभदायक होता है. यदि चिंता या तनाव के कारण सांस फूलने की समस्या हो तो आरामदायक स्थिति में रहना बेहतर होता है. निम्न स्थिति में सांस फूलने की समस्या में राहत मिलती है:
सांस फूलने पर कुर्सी पर सीधी अवस्था में बैठना चाहिए जिससे कि कमर सीधी रहे. या फिर सांस फूलने पर दीवार पर पीठ लगाकर दीवार के सहारे खड़ा होना चाहिए और कमर को दीवार के साथ सीधा रखना चाहिए. खड़े रहने में पैर से वजन कम करने के लिए हाथों को मेज पर रखकर शरीर का झुकाव हाथों पर देना चाहिए. सांस फूलने पर लेटने में सिर व घुटनों के बीच तकिया लगाकर लेटना चाहिए.
पंखे का इस्तेमाल
सांस फूलने पर पंखा के आगे हवा के दबाव में बैठना चाहिए. इससे अधिक मात्र में हवा अंदर जाने की अनुभूति होती है. सांस फूलने की समस्या में यह काफी प्रभावी उपचार होता है.
गहरी सांस लेना
पेट द्वारा गहरी सांस लेना सांस फूलने की समस्या में सुधार ला सकती है. इसके लिए लेटकर दोनों हाथों को पेट पर रखकर नाक से गहरी सांस लेना चाहिए. कुछ सेकंड तक सांस अंदर रखकर फिर सांस को मुंह से धीरे-धीरे छोड़ देना चाहिए. इस क्रिया को 5 से 10 मिनट तक दोहराना चाहिए. दिन में कई बार इस एक्सरसाइज को करना चाहिए व जब सांस फूलने जैसा महसूस हो तब भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए. इसमें तेजी से सांस लेने के स्थान पर धीरे-धीरे ही पर गहरी सांस लेनी चाहिए.
पर्स्ड लिप ब्रेथिंग
इस पद्धति में सांस लेने की गति को धीमा करके सांस फूलने की समस्या का इलाज किया जाता है. विशेष रूप से चिंता के कारण होने वाली सांस फूलने की समस्या में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसे करने के लिए कुर्सी पर सीधा बैठकर कंधे को आराम देना चाहिए व अपने दोनों होठों को एक-दूसरे से इस तरह से दबाकर रखना चाहिए कि उनके बीच थोड़ा सुराग बना रहे. अब नाक द्वारा सांस अंदर लेना चाहिए व कुछ सेकण्ड्स के लिए इसे अंदर रखना चाहिए. अब फिर दबाये गए होठों के सुराग से सांस को धीरे-धीरे बहार छोड़ देना चाहिए. इस प्रक्रिया को किसी भी समय किया जा सकता है. 10 मिनट तक या जबतक बेहतर महसूस न हो तबतक इसे किया जा सकता है.
ताजा अदरक का सेवन
यदि श्वसन तंत्र में संक्रमण के कारण सांस फूलने की समस्या हो तो यह ताजे अदरक के सेवन से या किसी गरम पेय में अदरक मिलाकर सेवन करने दूर हो सकता है.
भाप लेना
वायुमार्गों को खुला रखने के लिए भाप लेना लाभकारी रहता है इससे सांस ले पाने में मदद मिलती है. भाप लेने से भाप में पायी जाने वाली गर्मी और नमी बलगम को तोड़ देती हैं जिससे सांस फूलने की समस्या कम होने लगती है.