मूली ब्रैसिसेकी ( Brassicas ) परिवार की, मिट्टी के भीतर पैदा होने वाली एक सब्जी है। मूली दुनिया भर में उगाई और खपत की जाती है। मूली की कई किस्में हैं जो प्रजनन के आकार, रंग और समय में भिन्न होती हैं। कुछ प्रजातियाँ तेल उत्पादन के लिए भी उगाई जाती हैं। मूली ३ प्रकार की होती है सफ़ेद, लाल एवं काली।
मूली में पाए जाने वाले पोषक तत्व
इसमें उच्च मात्रा में फाइबर ( Fiber ) और प्रोटीन ( Protein ) होता है। खनिजों में पोटेशियम ( Potassium ), कैल्शियम ( Calcium ), आयरन (Iron ) और मैंगनीज ( Manganese ) उचित मात्रा में पाई जाती है। इसमें फोलेट ( Folate ) भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। इसके अलावा विटामिन ( Vitamin ) C की अच्छी मात्रा होती है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है।
मूली का उपयोग एवं उसके स्वास्थवर्धक फायदे
मूली में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व और खनिज पाए जाते है। मूली के पोषक तत्व आहार के साथ मिलाकर प्राप्त कर सकते है।
मूली का उपयोग बुखार के तापमान को कम करने के लिए किया जाता है।
मूली उनके शरीर के शुगर स्तर को कम करने में मदद करता है।
बालो की झड़ने की समस्या को कम करने के लिए मूली के रस का उपयोग किया जाता है
पीलिया के जोखिम को कम करता है।
मूली में अच्छी मात्रा में पानी होता है जो त्वचा में नमी बनाये रखता है और त्वचा की झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।
वजन कम करने में मदद करता है।
मूली की खेती
खेती के लिए सिंतबर से लेकर नवंबर तक का महीना उचित है। इसे आप वर्षा समाप्त होने के बाद कभी भी कर सकते हैं। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो–तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके खेत को भुरभुरा बना लें। जुताई करते समय सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिला लें।
मूली की खेती के लिए मिटटी, तापमान एवं जलवायु
मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है पर यह भुरभुरी, रेतली दोमट मिट्टी में अच्छे परिणाम देती है। भारी और ठोस मिट्टी में खेती करने से परहेज़ करें, इसकी जड़ें टेढ़ी होती है फसल के बढ़िया विकास के लिए मिट्टी का पी एच मान 5.5-6.8 होना चाहिए। मूली की अच्छी पैदावार के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए 10-15 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम है।
मूली की खेती की तैयारी एवं बुआई का समय
सिंतबर से लेकर नवंबर तक का महीना उचित है। इसे आप वर्षा समाप्त होने के बाद कभी भी कर सकते हैं। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो–तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके खेत को भुरभुरा बना लें। जुताई करते समय 200 से 250 कुंतल सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिला लें।
मूली की उन्नत किस्में
जापानी सफेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफेद, आई. एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफेद
मूली की खेती में बीज की मात्रा एवं बीजोपचार
मूली की खेती के लिए प्रति एकड़ मूली का बीज 5 से 6 किलोग्राम लगेगा। मूली के बीज का शोधन 2.5 ग्राम थीरम से एक किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए या फिर 5 लीटर गौमूत्र प्रतिकिलो बीज के हिसाब से बीजोपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
मूली के खेती में सिंचाई एवं उर्वरक प्रबंधन
मूली की खेती में सिंचाई के लिए बुवाई के समय नमी आवश्यक है। सर्दियों में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें सिंचाई करें ताकि मेड भुरभुरी एवं नियत बनी रहे। मूली साल भर उगाई जा सकती है, फिर भी व्यावसायिक स्तर पर इसे सितम्बर से जनवरी तक बोया जाता है। मूली की अच्छी पैदावार लेने के लिए सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय देनी चाहिए।
मूली के उत्पादक राज्य
इसकी खेती पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में किया जाता है।
मूली की खेती में लागत एवं कमाई
मूली के खेती में प्रति हेक्टेयर 10000 रुपये लगाकर 1.5 लाख तक कमा सकते है।
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