यदि आप अपने दिल और दिमाग को खुश रखना चाहते हैं तो इसके लिए डोपामाइन हार्मोन का लेवल सही होना जरूरी है। इस हार्मोन के कम होने से आप लो फिल करते हैं और कई तरह की मानसिक समस्या पैदा होने लगती है। आप नेचुरली कुछ आदतों से भी डोपामाइन बढ़ा सकते हैं।
हमारे दिल और दिमाग को खुश रखने में कई तरह के न्यूरोट्रांसमीटर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हीं में से एक है डोपामाइन, जो शरीर में नेचुरली बनता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर हमारे तंत्रिका तंत्र और कोशिकाओं के बीच मैसेज भेजता है। जैसे हम कैसे हैप्पी फील करते हैं। इसमें डोपामाइन की भूमिका होती है।
शरीर में डोपामाइन हार्मोन की कमी होने लगे तो इससे हमारी पूरी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। डोपामाइन की वजह से हम खुश फील करते हैं। मार्केट में कई दवाएं और सप्लीमेंट्स मिलते हैं जो डोपामाइन के लेवल को बढ़ाने में मदद करते हैं। चिकित्सकों की मानें तो आप कुछ आदतों से भी शरीर में हैप्पी हार्मोंन डोपामाइन को बढ़ा सकते हैं।
एक्सरसाइज करें- व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाती है। रोजाना व्यायाम करना शरीर और दिमाग दोनों के लिए अच्छा साबित होता है। व्यायाम करने से शरीर में नेचुरली डोपामाइन और एंडोर्फिन हार्मोंन्स का लेवल बढ़ता है। जिससे मूड अच्छा होता है। एक्सरसाइज करने से आपको खुशी मिलती है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। एक्सरसाइज को डेली रुटीन का हिस्सा बना लें।
धूप है जरूरी- जब आप धूप से पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी लेते हैं तो इससे डोपामाइन रिलीज होता है। सुबह की धूप लेने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है। जब आप सूरज की रोशनी में रहते हैं तो डोपामाइन बढ़ने लगता है। इसलिए सुबह धूप में वॉक करने की सलाह दी जाती है।
म्यूज़िक सुनें- डोपामाइन अलग-अलग लोगों में अलग-अलग आदतों से रिलीज हो सकता है। कुछ लोगों को अच्छा संगीत सुनने से खुशी मिलती है और जब वो आनंदित महसूस करते हैं तो शरीर में डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है। कई रिसर्च में ये सामने आ चुका है कि म्यूज़िक हेल्थ और खासतौर से मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। म्यूजिक सुनने से शरीर में डोपामाइन रिलीज होता है।
पर्याप्त नींद- शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है तो पर्याप्त नींद और भरपूर आराम जरूरी है। अच्छी नींद लेने से डोपामाइन का लेवल बढ़ता है। इससे बॉडी रिलेक्स रहती है। कई रिसर्च में ये सामने आया है कि नींद पूरी नहीं होने पर डोपामाइन रिसेप्टर्स की कार्यक्षमता कम होने लगती है। जिससे मूड संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं।