थायराइड की समस्या तेजी से दिन-ब-दिन दुनिया भर में अपने पैर पसारती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दस में से एक महिला इस समस्या से जूझ रही है। ये महिलाओं में होने वाली बेहद आम बीमारियों में से एक है।
कई बार तो कुछ महिलाओं को इस समस्या का पता भी नहीं चल पाता है। जिसके कारण आगे चलकर उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसी आधार पर आज हम इस लेख में महिलाओं में थायराइड के लक्षण, निदान और उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे।
चलिए सबसे पहले जानते हैं कि थायराइड क्या है।
थायराइड क्या है-
थायराइड कोई बीमारी नहीं, बल्कि गले में आगे की ओर पाए जाने वाली एक ग्रंथि होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। यह ग्रंथि शरीर में कई प्रकार के जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करने का काम करती है। जब यही ग्रंथि इन महत्वपूर्ण हार्मोन को ज्यादा या कम बनाने लगती है,
तो इसे ही थायराइड रोग कहा जाता है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं और बुजुर्गों में ज्यादा होने की आशंका होती है। इसके अलावा अगर परिवार में पहले से ही कोई इस समस्या से पीड़ित है तो इसके होने की आशंका भी ज्यादा रहती है।
अब महिलाओं में थायराइड के लक्षण से जुड़ी जानकारी हासिल करेंगे।
थायराइड के लक्षण-
महिलाओं में थायराइड के लक्षण कुछ सामान्य बीमारी जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं, ऐसे में बेहतर ये है कि शरीर में होने वाले किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लें। खासकर गर्भवती महिलाओं को थायराइड के लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्डर की सलाह लेनी चाहिए।
- चेहरे में सूजन आना
- पसीना कम आना
- हाई ब्लड प्रेशर
- ह्रदय गति का कम होना
- रूखे और बेजान बाल
- वजन बढ़ना और घटना
थायराइड के लक्षण के बाद अब हम थायराइड के निदान बताने जा रहे हैं।
थायराइड का निदान-
थायराइड के निदान के लिए डॉक्टर पीड़ित को ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। इसमें निम्म प्रकार की जांच की जा सकती है, जो इस प्रकार है।
1. टीएसएच टेस्ट : टीएसएच टेस्ट में पिटयूटरी ग्लैंड (दिमाग का एक अहम हिस्सा) में बनने वाले टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन ) की जांच की जाती है। इससे माध्यम से शरीर में टी-3 और टी-4 थायराइड हार्मोन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
2.टी-4 टेस्ट : टी-4 टेस्ट में हार्मोन की अधिकता हाइपरथायराइड का पता चलता है। वहीं, खून में टी-4 का कम होना हाइपोथाराइड दर्शाती है।
3. टी-3 टेस्ट : टी-4 टेस्ट सामान्य होने पर अगर डॉक्टर को लगता है कि पीड़ित महिला को हाइपरथायराइड की समस्या है तो, वो ऐसी स्थिति में डॉक्टर टी-3 हार्मोन के लेवल के आधार पर बढ़े हुए थायराइड के कारण को समझ सकते हैं। टी-3 के स्तर की अधिकता के कारण भी मरीज को हाइपरथायराइड की समस्या हो सकती है।
4. थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट : इस टेस्ट में इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याएं जैसे- ग्रेव्स डिजीज और हाशीमोटोज डिजीज का पता लगाया जा सकता है। थायराइड हार्मोन का एक आम कारण ग्रेव्स डिसीज है। इसके अलावा, हाशीमोटोज डिजीज के कारण थायराइज हार्मोन न बनने की समस्या होती है।
ये सभी जांच द्वारा डॉक्टर थायराइड की स्थिति का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट कराने की भी सलाह दे सकते हैं। इसमें थायराइड स्कैन, अल्ट्रासाउंड और रेडियोएक्टिव आयोडीन टेस्ट भी शामिल है। इन टेस्ट द्वारा भी महिलाओं में थायराइड की समस्या होने के कारण को जानने में मदद मिल सकती है।
अब आगे जानते हैं कि थायराइड के इलाज से थायराइज कैसे ठीक हो सकता है।
थायराइड का उपचार-
महिलाओं में थायराइड का इलाज उनकी उम्र, स्थिति और थायराइड ग्रंथि शरीर में कितने हार्मोन बना रही है इसके अनुसार किया जा सकता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि लेख में बताए गए उपचार सिर्फ एक सुझाव हैं, मरीज को किस प्रकार के इलाज की आवश्यकता है, इस विषय में डॉक्टर ही बेहतर सलाह दे सकते हैं।
1-हाइपो थायराइड – हाइपो थायराइड का उपचार दवा द्वारा किया जा सकता है। इसमें मरीज को डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी-4 लेने की सलाह दे सकते हैं। इससे शरीर में हार्मोन बनना शुरू हो सकते हैं। कई बार महिलाओं में हाइपो थायराइड के लक्षण नजर आने के कारण उनको जीवन भर दवा का सेवन करना पड़ सकता है।
2. हाइपर थायराइड – हाइपर थायराइड का इलाज शरीर में कई लक्षण और कारणों को देखते हुए कर सकते हैं। जो इस प्रकार है-
- एंटीथायराइड : पीड़ित को डॉक्टर एंटीथायराइड की दवा दे सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में थायराइड ग्रंथि नए हार्मोन का निर्माण बंद कर सकती है।
- बीटा-ब्लॉकर दवा : इसके सेवन से थायराइड हार्मोन का शरीर पर असर होना बंद हो सकता है। इसके अलावा इससे ह्दय गति भी सामान्य हो सकती है। इस दवा में खास बात ये है कि इस दवा के सेवन से थायराइड हार्मोन बनने में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आती है।
- रेडियोआयोडीन : इस इलाज से शरीर में थायराइड हार्मोंस बनाने वाले थायराइड सेल को खत्म किया जा सकता है। लेकिन यह हाइपो थायराइड का एक कारण भी बन सकता है।
- सर्जरी : पीड़ित को सर्जरी की जरूरत तब होती है, जब कुछ निगलने और सांस लेने में समस्या होने लगती है। ऐसे में सर्जरी द्वारा थायराइड का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा निकाल दिया जाता है। इस स्थिति में भी हमेशा के लिए हाइपो थायराइड होने की आंशका हो सकती है।
3. थायराइडिटिस – एक रिसर्च पेपर के अनुसार अगर प्रतिदिन 20 मिलीग्राम प्रेडनिसोलोन का सेवन करने से इसके असर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
4. गॉइटर – अगर थायराइड ग्रंथि सही प्रकार से काम कर रही है तो इसमें किसी भी प्रकार की इलाज की जरूरत नहीं होती है। यह खुद ही कुछ वक्त में अपने आप ठीक हो सकता है। वहीं अगर इसमें इलाज भी किया जाए तो डॉक्टर इस स्थिति में ऐसी दवा का सेवन करने की सलाह देते हैं, इसमें थायराइड ग्रंथि सिकुड़ कर अपने सामान्य आकार में आ सकती है।
5. थायराइड नोड्यूल – थायराइड नोड्यूल का इलाज इस बात निर्भर करता है कि पीड़ित की थायराइड ग्रंथि किस प्रकार की है। इसके आधार पर इसका इलाज डॉक्टर कर सकते हैं।
6. थायराइज कैंसर – मरीज को थायराइज कैंसर होने पर इसका एक मात्र इलाज इसकी सर्जरी है। इसके द्वारा थायराइज ग्रंथि को निकाला जा सकता है। यदि कैंसर का आकार छोटा है और वो लिम्फ नोट्स में नहीं फैला है तो इसके लिए सर्जरी बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके बारे में डॉक्टर बेहतर राय दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर सर्जरी के बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें कैंसर सेल अंदर ही रह जाते हैं और अन्य जगह फैल जाते हैं, इन्हें रेडियोआयोडीन थेपेपी के द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
महिलाओं में थायराइड की समस्या होना बेहद आम बात है, लेकिन इससे बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस समस्या के साथ महिलाएं जीवन व्यतीत कर सकती है। बस उन्हें इसके लक्षण नजर आने पर उन्हें नजरअंदाज करने से बचना है। वरना इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। उम्मीद करते हैं लेख में थायराइड के बारे में दी गई जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक रही होगी। अगर ये लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ जरूर शेयर करें।