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प्रदर्शन के नाम पर तोड़-फोड़ करने वाले को पीएम शेख हसीना ने बताया आतंकवादी, मुंहतोड़ जवाब देने कहा

ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच आज भीषण झड़प हुई। सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी एक ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे। अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया और फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। समाचार पत्र ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के समर्थकों के बीच मुंशीगंज में हुई झड़प में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हुए हैं।

वहीं अब प्रधानमंत्री शेख हसीना का कहना है कि जो लोग प्रदर्शन के नाम पर देश में तोड़-फोड़ कर रहे हैं, वे छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं। शेख हसीना से जनता से अपील की है कि ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब दें। आपको बता दें कि शनिवार से बांग्लादेश में एक बार फिर से हिंसा भड़की है।

रविवार को प्रदर्शनकारियों और सत्ताधारी आवामी लीग के समर्थकों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 लोग घायल हो गए। इसके अलावा बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सों हजारों लोग जुटे और शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करने लगे। बताया गया है कि शेख हसीना ने अपने निजी आवास गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई।

इस दौरान उन्होंने कहा, ‘जो लोग प्रदर्शन के नाम पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वे छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं। मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि ऐसे लोगों को मजबूती से जवाब दें।’ बैठक में थल सेना, नौसंना, वायुसेना, पुलिस और सुरक्षा से जुड़े उच्च अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार भी मौजूद रहे।

बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है और इसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका की प्रमुख सड़कों की घेराबंदी कर दी। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हाल ही में पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिसंक झड़पें हुईं हैं। दरअसल, प्रदर्शनकारी छात्र विवादित आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत बांग्लादेश के लिए वर्ष 1971 में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित की गईं हैं।

0 छात्रों ने बातचीत से किया इनकार
इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मुलाकात की थी। दरअसल, शेख हसीना ने प्रदर्शनकारी छात्रों को बातचीत के लिए अपने निजी आवास में बुलाया था। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने पीएम से किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया था। छात्रों ने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की है।