लंदन । भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रतीक दांडी मार्च के दौरान महात्मा गांधी द्वारा पहनी गई एक माला इस हफ्ते ब्रिटेन में नीलामी के लिए रखी गई थी। इस माला को ‘लायन एंड टर्नबुल’ नाम के घर में नीलामी के लिए रखा गया और इसकी कीमत 20 हजार से 30 हजार पाउंड तय की गई। लेकिन इस कीमत पर अभी तक किसी ने भी इस माला को नहीं खरीदा है।
नीलामी घर की प्रमुख क्रिस्टिना सैनी ने कहा, हमें यह देखकर हैरानी हुई कि महात्मा गांधी की माला की बिक्री अभी तक नहीं हुई है। हालांकि इसको खरीदने में बहुत लोगों ने रुचि दिखाई है। हम उम्मीद करते हैं कि यह सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को बेची जाएगी। इसे एक अच्छी जगह पर होना चाहिए।
यह माला एक विशेष डिजाइन में बनी है। इसमें एक बड़े आकार का गुलाबी कपड़ा है, जिसे एक कार्ड के ऊपर रखा गया है। यह गुलाबी हिस्सा चांदी और सोने के धागों से सुसज्जित किया गया है और इसमें छोटे-छोटे चमकीले गोल आकार के कपड़े लगे हुए हैं। माला में चार छोटे आयताकार (चौकोर) और दो त्रिकोणी (तीन कोनों वाले) आकार के सजावटी टुकड़े लगे हुए हैं। ये सजावटी टुकड़े सोने के धागों से एक-दूसरे जुड़े हुए हैं और एक सुंदर माला बनाई गई है।
डॉक्टर बलवंत राय एन कनुगा के परिवार ने इस माला को महात्मा गांधी को भेंट किया था। माला के साथ एक पुरानी तस्वीर भी है, जिसमें नंदुबेन कनुगा महात्मा गांधी के गले में यह माला डाल रही हैं। यह माला दांडी मार्च के बाद कनुगा परिवार को वापस कर दी गई थी। माला के साथ नीलामी की जानकारी में कहा गया है, माला गांधी जी को दांडी मार्च के शुरुआत के शुभ अवसर पर भेंट की गई थी। यह मार्च भारतीय स्वाधीनता संग्राम का एक प्रमुख और अहिंसक विरोध था, जो मार्च-अप्रैल 1930 में हुआ था। जब गांधी ने दांडी में समुद्र के किनारे से नमक उठाया, तो यह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कानून तोड़ते हुए नमक बनाया और विरोध किया।
नीलामी में महात्मा गांधी की माला की बिक्री नहीं हो सकी, लेकिन नीलामी में भारतीय कला के कुछ अन्य सामानों को अच्छा दाम मिला। जैसे भगवत पुराण का एक सुंदर चित्र 27,700 ब्रिटिश पाउंड में बिका, जो कि नीलामी में अनुमानित कीमत से ज्यादा था। इसी तरह राजपूत घुड़सवार चित्र और कलिगहाट पेंटिंग भी अच्छे दाम में बिके।