रांची। झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। करीब आधा दर्जन ठिकानों पर रेड डाली गई है। ईडी की ये कार्रवाई निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम और उनके करीबियों के ठिकानों पर की जा रही है, जहां नोटों का ढेर मिला है।
लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। केंद्रीय एजेंसी रांची में कई ठिकानों पर छापेमारी कर रहा है। वीरेंद्र राम मामले में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के घरेलू सहायक के यहां से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई। नोटो की गड्डियों का ढेर लगा हुआ है, जिसे देखकर अधिकारी भी चकरा गए हैं, जिन्हें गिनने के लिए मशीनें मंगवाई गई हैं। अभी तक 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की गिनती हो गई है।
ईडी के अधिकारियों की ओर से जारी किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि घर में किस तरह से नोटों को रखा गया था। बैग, सूटकेस और पॉलिथीन में भरकर नोटों की गड्डियां रखी गई थीं। अधिकारी घर का कोना-कोना छान रहे हैं।
ईडी ने कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2023 में झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था।
बीते साल फरवरी में एजेंसी ने वीरेंद्र राम से लंबी पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार किया था। ईडी ने 21 फरवरी 2023 को रांची, जमशेदपुर और झारखंड, बिहार और दिल्ली के कुछ अन्य स्थानों पर सर्च अभियान चलाया था, जिसके बाद उसे पकड़ा था। एजेंसी ने तमाम परिसरों से 30 लाख का कैश, 1.5 करोड़ रुपए के गहने, कई करोड़ की 8 लग्जरी कारें और एसयूवी, मेट्रो और अन्य शहरों में फ्लैट व बंगले जब्त किए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो की शिकायत से जुड़ा है, जिसमें सरकारी काम के अनुदान के बदले में कुछ कथित कमीशन का भुगतान किया गया था। वीरेंद्र राम 2019 में सुर्खियों में आए थे। एसीबी ने उनके एक अधीनस्थ से 2.50 करोड़ रुपए से अधिक जब्त किए थे। बाद में, ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामले को अपने हाथ में ले लिया। कथित तौर पर राम के राजनेताओं से लेकर नौकरशाही तक मजबूत संबंध रहे, जिसके कारण वह ग्रामीण विकास विभाग के टेंडरों का प्रबंधन कर रहा था।
निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम ने झारखंड के ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण और अन्य टेंडर जारी करने के बदले .3 परसेंट से लेकर 1 परसेंट तक कमीशन लेने की बात कबूल की थी। ईडी ने बाद में वीरेंद्र राम की करोड़ों रुपए की चल-अंचल संपत्ति भी अटैच की थी। ईडी को शक है कि पिछले साल झारखंड के ग्रामीण इलाकों में सड़कों के निर्माण के लिए 10 हजार करोड़ का भी टेंडर अलॉट किए गए, जिनमें मोटा कमीशन लिया गया। ईडी को शक था कि निलंबन के बावजूद वीरेंद्र राम अभी भी टेंडर रैकेट से जुड़े थे।