रांची। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के जिस नौकर जहांगीर को गिरफ्तार किया है, वह गाड़ीखाना चौके के पास फ्लैट में बेहद साधारण तरीके से रहता था। वह पुरानी स्कूटी में बनियान पहनकर चलता था, ताकि उस पर किसी को शक न हो।
अपार्टमेंट के लोगों ने बताया किक वह सप्ताह और दस दिन फ्लैट में थैला लेकर आता था। एक दो घंटे बिताकर वापस चला जाता था। इसी फ्लैट में 32.30 करोड़ कैश बरामद किए गए हैं। वह किसी तरह का ठाटबाट नहीं रखता था। जहांगीर ने अपने फ्लैट को सुरक्षित बनवाया था। दरवाजे पर लोहे का ग्रिल लगवाया था। वह कभी भी अपार्टमेंट में चार पहिया वाहन से नहीं आया। सफेद रंग की पुरानी स्कूटी में आया जाया करता था। वह ऐसा इसलिए करता था, ताकि उसके पास इतनी रकम है, इसका पता किसी को नहीं चल सके। अपार्टमेंट के लोगों से भी वह संपर्क नहीं रखता था। सामने कोई अचानक आ जाता तो सलाम दुआ करके आगे निकल जाता था। अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों ने बताया कि जहांगीर प्रतिदिन अपने फ्लैट में नहीं रहता था। सप्ताह या दस दिन में आता था। हाथ में थैला लेकर आता और सीधे अपने फ्लैट में चला जाता था। एक दो घंटे बिताने के बाद फिर चला जाता था। नोट मिलने के बाद अपार्टमेंट के लोगों ने कहा कि जहांगीर ने सिर्फ पैसा रखने के लिए ही फ्लैट ले रखा था।
खरीदा था 40 लाख का फ्लैट
जहांगीर ने छह महीने पहले गाड़ीखाना चौक स्थित सर सैयद रेसिडेंसी में प्रथम तल्ले पर फ्लैट खरीदा था। बिल्डर ने जिस व्यक्ति को फ्लैट बेचा था, उससे जहांगीर ने 40 लाख का भुगतान कर खरीदा था। राशि फ्लैट मालिक को एक बार में ही अदा कर दिया था। वह और लोगों से भी फ्लैट खरीदने की तैयारी में था। ईडी ने 32.30 करोड़ बरामद किया और इसकी जानकारी आसपास के लोगों को मिली तो उनके होश उड़ गए। लोगों का कहना था कि चप्पल, ट्रॉउजर और गंजी में रहने वाले व्यक्ति के पास इतनी रकम होगी, इसका उन्हें इसका अंदाजा भी नहीं था। लोगों ने कहा कि अगर पता रहता तो पैसा हम लोग ही छीन लेते।
जाने जहांगीर कैसे बना करोड़पति
जहांगीर पहले मेडिकल लाइन में एमआर की नौकरी करता था। जहांगीर और संजीव एक दूसरे को करीब 15 सालों से जानते थे। जहांगीर दो तीन साल से एमआर का काम करता रहा। इसके बाद वह चतरा जिले के पत्थलगड्डा प्रखंड में साल 2009 में बीडीओ बनकर आए संजीव कुमार लाल के संपर्क में आया। तब से संजीव लाल के लिए काम कर रहा था। इस दौरान जहांगीर यहां बीडीओ संजीव लाल के साथ मिलकर प्रखंड स्तर पर संचालित कई योजनाओं में लोगों को काम दिलवाता रहा।
संजीव लाल पत्थलगड्डा में 6 मार्च 2009 से 6 जनवरी 2011 तक पदस्थ रहे। यहां से संजीवलाल का तबादला चक्रधरपुर हो गया। इसके बाद संजीव लाल जहांगीर को अपने साथ चक्रधरपुर लेकर चले गए। यहां भी वह उनके लिए काम करता रहा। संजीव लाल के कारण ही जहांगीर की नजदीकियां मंत्री आलमगीर के साथ बढ़ी। लोगों ने बताया कि जहांगीर की शादी जामताड़ा में होने के कारण ससुराली रिश्ते से भी वह आलमगीर आलम के संपर्क में रहता था। दोनों अलग जाति के हैं।ं कोई पारिवारिक संबंध नहीं है। ईडी ने दावा किया है कि यह कैश कमीशन का पैसा है, जिसे मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल ने जहांगीर के फ्लैट में रखा था।