कोरबा-पाली। विकासखंड अंतर्गत ग्राम बतरा से होकर गुजरने वाली नदी को स्कूल बैग के साथ पार कर बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आना जाना करते है। शिक्षा ग्रहण करने से पहले बच्चों को जान जोखिम में डालकर उफनती खारून नदी को पार करना पड़ता है। इस जद्दोजहद में उनके गणवेश भी पानी में भींग जाते हैं। बैग में रखीं पुस्तकें भी पानी में भींगकर खराब हो रही हैं। शिक्षा ग्रहण करने के लिए मासूम बच्चों को कठिन तपस्या करनी पड़ रही हैं। बच्चों के परिजन भी कंधे में लादकर उन्हें नदी पार कराते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा ग्रहण करने का मार्ग कितना कठिन हो गया है।
विकासखंड पाली के ग्राम पंचायत बतरा के आश्रित मोहल्ले नदियापारा कुहीपानी में खारुन नदी एक पखवाड़े से उफान पर है। नदी में तेज बहाव के साथ पानी बह रहा है। इसके बाद भी पढ़ाई के लिए बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल आवाजाही कर रहे हैं।
गणेवश और बैग में रखे पुस्तक और कॉपी पानी भीग न जाए, इसके लिए बच्चे गणवेश और बैग सिर पर रखकर नदी पार कर रहे हैं। नदी में बहाव अधिक होने के कारण बच्चे समूह बनाकर एक-दूसरे का हाथ थामकर नदी पार कर रहे हैं। वहीं कई क्षेत्र के ग्रामीण व परिजन उन्हें नदी पार कराने में सहयोग करते हैं। इसी तरह किसान और चरवाहे भी मवेशियों को तेज बहाव में नदी पार कराते हैं।
लगभग पखवाड़े भर से क्षेत्र में बारिश हो रही है। पहाड़ से होकर पानी नदी में पहुंच रहा है। इस कारण नदी का जलस्तर कम नहीं हो रहा है। कई बार स्थिति ऐसी होती है कि बच्चे स्कूल में रहते हैं और पानी का जलस्तर अधिक हो जाता है। नदीपार करना मुश्किल हो जाता है। इस दौरान बच्चों व ग्रामीणों को दूसरी ओर ही रहना पड़ता है। जलस्तर कम होने के बाद घर लौटते हैं।
हादसे की बनी रहती है आशंका
बच्चे स्कूल जाने के लिए तेज बहाव के बीच नदी पार कर रहे हैं। ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है। इसे लेकर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि हादसा होने पर जिम्मेदार कौन होगा? ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से पुल-पुलिया निर्माण की मांग के बाद अफसर गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस कारण अभिभावक बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। जिले के कई ग्रामीण इलाके आज भी कई तरह की सुविधाओं से वंचित हैं। स्थिति ऐसी है कि बारिश के दिनों में नदी और नाला उफान पर रहते है और बच्चे स्कूल जाने के लिए तेज बहाव के बीच नदी और नाले को पार करते हैं, वहीं ग्रामीण भी एक गांव से दूसरे गांव जाने के लिए जान जोखिम में डालकर जद्दोजहद करते हैं।