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कोरबा

पर्यटकों को आकर्षित कर रहा देवपहरी : मन मोह लेती है जलप्रपात की बहती धारा, बरतें सावधानी, नहीं तो हो सकता है हादसा

कोरबा। शहर से लगभग 60 ये 65 किलोमीटर दूर कोरबा ब्लॉक में मौजूद देवपहरी जल प्रपात का शानदान नजारा पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। यहां के दर्शनीय नजारे को एक बार निहारने के बाद पर्यटकों के दिल और दिमाग में यहां का दृश्य इस तरह बस जाता है कि वे अगली बार मौका मिलते ही दोबारा भी इस खूबसूरत दृश्य को निहारने जरूर पहुंचते हैं। वे कभी अपने दोस्तों के साथ कभी परिवार के सदस्यों के साथ यहां आते हैं और दूध सी बहुत ही तेज गति में बहती जलधारा को देखते हैं और जलधारा की आवाज को महसूस करते हैं। आसपास का खुला वातावरण, दूर-दूर तक विशालयकाय चमकते चट्टानों के एक स्थान पर स्थिर टुकड़े और रेत पर बहुत ही स्वच्छ पानी के बीच शांति और सुकून का अहसास देवपहरी जलप्रपात जैसे स्थान को और भी पहचान दिलाती है।

कोरबा जिले में पर्यटकों के लिए कौतुहल का भाव उत्पन्न करने वाला देवपहरी पर्यटन स्थल लेमरू वनांचल क्षेत्र में मौजूद है। बहुत पहले यहां तक आने के लिए अच्छी सड़के नहीं होने के बावजूद भी देवपहरी की पहचान उभर कर सामने आई। अब जबकि पक्की सड़क है तो यहां अक्सर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। ठण्ड के मौसम में देवपहरी पर्यटकों का सबसे पसंदीदा जगह है।

शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूर होने के बावजूद लोग यहां के मनोरम दृश्य को देखने पहुंचते हैं। खास बात यह भी है कि देवपहरी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को घने जंगलों से गुजरते हुए जाना पड़ता है। इस दौरान घुमावदार रास्ते, रास्तों में दिखाई देने वाले पहाड़, वनांचलो में रहने वाले जनजातीय परिवारों का रहन-सहन, उनके घर, छोटे-छोटे नदी नाले भी देखने को मिलते हैं, जिससे देवपहरी तक का सफर पर्यटकों के लिए रोमांच के साथ और भी कौतुहल बन जाता है। प्राकृतिक सुंदरता के प्रेमियों को देवपहरी जल प्रपात बहुत भाता है। वे इस नैसर्गिक वातावरण को देखकर इस नजारे को अपने कैमरे में कैद किये बिना नहीं मानते।

उदयपुर से देवपहरी घुमने आये मनोहर सिंह और उने साथी जय प्रकाश, गुरूवर, संदीप मिंज का कहना है कि उन्होंने देवपहरी का बहुत नाम सुना था। बहुत पहले इस स्थान को देखने का मन बना चुके थे, लेकिन मौका ही नहीं मिल पा रहा था। रात में निर्णय होने के बाद आज सुबह से ही वे घर से देवपहरी के लिए निकल गए। यहां तक आते-आते कोई थकावट ही महसूस नहीं हुई, क्योंकि रास्ते भर वे जंगलों सहित आसपास के पहाड़ और सुंदर नजारे को देखते आएं। देवपहरी आने पर यहां का शानदार नजारा देखते ही थोड़ी बहुत थकावट थी वह भी गुम हो गई। रजगामार के कन्हैया का कहना है कि वह कई बार देवपहरी आ चुका है। उन्हें यह स्थान बहुत पंसद आता है। परिवार के साथ घूमने के लिए देवपहरी का सुंदर नजारा बहुत बढ़िया और खूबसूरत है।

गंदगी न करें और अति उत्साही न बनें- देवपहरी जलप्रपात का खूबसूरत नजारा यहां आकर शांति, सुकून का अहसास कराता है। इस मनोरम दृश्य को निहारने के साथ यहां पर यादगार तस्वीर जरूर लें पर यहां आकर खाना पकाने और गंदगी फैलाने का कार्य न करें। यदि आप अपने साथ खाने की वस्तुएं लाएं भी है तो उन्हें अपने साथ किसी बैग में भरकर वापस ले जाएं और निर्धारित कचरे वाले स्थान पर फेंके। कुछ लोगां द्वारा फेंकी गई गंदगी, बोतले, चिप्स सहित अन्य खाद्य सामग्री की खाली पैकेट यहां की गंदगी को बढ़ाने के साथ अन्य पर्यटकों के लिए मुसीबत बनती है। बेहतर होगा कि आप घर से खाना बनाकर टिपिन में पैक कर लांए और यहां घूमने-फिरने के बाद किसी अच्छे स्थान पर बैठकर खाये।

सावधानी बरतें, नहीं तो हो सकता है हादसा- देवपहरी जलप्रपात देखने में जितना सुंदर है, उतना खतरनाक और जोखिम भरा भी है। कई बार अति उत्साह में कुछ लोग खतरनाक स्थानों पर चले जाते हैं। पानी में छलांग लगाना शुरू कर देते हैं। यहां खतरनाक और नुकीले चट्टान है, जो फिसलन वाले भी है। पानी की गहराई का भी किसी को अंदाजा नहीं होता। ऐसे में अति उत्साह में पानी में छलांग लगाना, जोखिम उठाते हुए सेल्फी के चक्कर में खतरनाक स्थानों पर जाना आपके लिए खतरा बन सकता है। यदि आप छोटे बच्चों को लेकर जा रहे है तो आप स्वयं भी सतर्क रहते हुए बच्चों को अपनी निगरानी में रखें। उन्हें पानी में न उतरने दें। शराब पीकर यहां आना और पत्थरों में चलता बहुत जोखिम के साथ ही जानलेवा भी हो सकता है। बारिश के दिनों में इस जगह पर बिलकुल भी न आएं।

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