कोरबा। जिला न्यायाधीश सत्येन्द्र कुमार साहू व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चन्द्रा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शीतल निकुंज के साथ जिला जेल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान हर एक बैरक, भोजन कक्ष, दवाखाना में जाकर दंडित बंदी एवं अभिरक्षाधीन बंदियों को जेल में मिलने वाले सुविधा के संबंध में जाना।
इस दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जेलों में निरूद्ध दंडित एवं विचाराधीन बंदियों में जागरूक किए जाने के प्रयोजनार्थ विधिक जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया। जिला न्यायाधीश सत्येन्द्र कुमार साहू ने उद्बोधन में कहा कि जाने-अनजाने में आप लोग जेल में निरूद्ध हो गए हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि आप सभी अपराधी हो। कुछ गंभीर धारा में कुछ छोटे-मोटे धारा में जेल आ जाते हैं। जेल अपराध का पश्चाताप करने का आपको मौका देता है। हम सभी समाज में रहते हैं, एक सभ्य समाज के संचालन के लिए कानून व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। कानून व्यवस्था नहीं होगी तो जिसकी लाठी उसी के भैंस जैसे हो जाएगी अर्थात् जो अधिक ताकतवर होगा, वही राज करेगा जिससे कमजोर व्यक्ति अधिकार का हनन होगा। इससे समाज में अराजकता फैल जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय के द्वारा जेल में निरूद्ध अभिरक्षाधीन बंदी एवं दंडित बंदी की संख्या को देखते हुए उन्हें अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश समय-समय पर जारी होते हैं। जेल में बंद बंदियों को समय का सदुपयोग किए जाने के लिए कहा गया।
मुख्य न्यायिक मजि. सीमा प्रताप चन्द्रा ने कहा कि प्रकरण लंबे समय में चलने का कारण यह होता है कि कोई भी प्रकरण में अन्वेषण की प्रक्रिया, विचारण की प्रक्रिया होती है जो कि एक जटिल प्रक्रिया होने के कारण निराकरण नहीं हो पाता है। उक्त अवसर पर विज्यानंद सिंह, सहायक जेल अधीक्षक कोरबा निरीक्षण के दौरान उपस्थित थे।