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कोरबा

पंप हाउस कॉलोनी में निवासरत पूर्व एसईसीएल कर्मियों को मिले आवास का मालिकाना हक

कोरबा। एसईसीएल कोरबा पूर्व की आवासीय कॉलोनी में निवासरत एसईसीएल से सेवानिवृत्त कर्मियों एवं पंप हाउस क्षेत्र में निवासरत नागरिकों की बैठक आदर्श श्रमिक क्लब में आयोजित की गई।

बैठक के दौरान पंप हाउस स्थित एसईसीएल की आवासीय कॉलोनी में बने मकानों तथा एसईसीएल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले झुग्गी झोपड़ियों में निवासरत लोगों को आवास की सुविधा दिलाने हेतु अहम निर्णय लिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता व पंप हाउस निवासी विनोद सिन्हा को संबंधित विभागों से पत्राचार की जवाबदारी सौंपी गई। जोर जबरदस्ती कर एसईसीएल के आवासों से बेदखल करने का पंप हाउस के लोगों ने पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया।

बैठक को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने कहा कि एसईसीएल कोरबा क्षेत्र में 2, 3 खदानों को छोड़कर बाकी खदानों में आउटसोर्सिंग के जरिए कार्य कराए जा रहे हैं, जिसके फलस्वरूप कोरबा एरिया के पंप हाउस, 15 ब्लॉक, सुभाष ब्लॉक, जेपी कॉलोनी, मानिकपुर, रजगामार, सुराकछार, बलगी तथा बाकीमांेगरा एसईसीएल कालोनियों में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या नगण्य है।
सिन्हा ने बताया कि 1960 के दशक से एसईसीएल की उपरोक्त कालोनियों में आवास की सुविधा एसईसीएल कर्मियों को दी जा रही है, जिसमें अधिकतर कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नई नियुक्ति नहीं हो रही है। आउटसोर्सिंग के कारण कर्मचारियों का स्थानांतरण अन्य क्षेत्रों में कर दिया गया है। ऐसे में एसईसीएल कोरबा को पुराने आवास की आवश्यकता नहीं है। आवास में निवासरत 30 फीसदी कर्मचारी तथा 70 फीसदी पूर्व कर्मचारी व अन्य संबंधित लोग आवास में निवासरत हैं। वर्तमान में आवासों को खाली कराकर स्थानीय निकायों को सौंपने की तैयारी एसईसीएल कोरबा पूर्व द्वारा की जा रही है, जिसका पुरजोर विरोध पंप हाउस कॉलोनीवासियों ने किया है।

सिन्हा ने बताया कि एसईसीएल के 70 फीसदी आवास में रहने के लिए कर्मचारी नहीं है। ऐेसे में आवास खाली कराने की क्या आवश्यकता है। इस संदर्भ में 20 वर्षों से लगातार सीएमडी एसईसीएल बिलासपुर तथा कोल इंडिया चेयरमैन कोलकाता को अनेकों पत्र देकर मांग की गई है कि सार्वजनिक उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र बोकारो स्टील संयंत्र तथा खाद कारखाना सुंदरी में पुराने आवासों को आवास में रहने वाले को 99 वर्ष के लिए निर्धारित रकम लेकर दे दी गई है। उसी तर्ज पर एसईसीएल में पुराने आवासों में निवासरत पूर्व कर्मियों को मालिकाना हक देने की मांग की जाती रही है। सन 2019 में तत्कालीन कोल इंडिया के चेयरमैन अनिल कुमार झा द्वारा पुराने आवासों को निवास करने वालों को मालिकाना हक देने हेतु 16 जुलाई 2019 को अपैक्स जेबीसीसीआई को सौंप दिया। उसके पश्चात चेयरमैन झा द्वारा अवकाश ग्रहण करने के बाद आज दिनांक तक मालिकाना हक के संबंध में निर्णय नहीं हो सका।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पुराने आवेदनों के साथ सीएमडी बिलासपुर चेयरमैन कोल इंडिया कोलकाता कोयला मंत्री तथा पीएमओ कार्यालय को एक पत्र भेजकर ऐसे पुराने आवास जो सर्वे ऑफ हो चुका है, जिसमें 70 फीसदी गैर कर्मचारी निवासरत है, एसईसीएल सहित कोल इंडिया को प्रतिवर्ष अरबों रुपए की बिजली, पानी, नाली, सड़क, आवास मरम्मत तथा स्थानीय निकाय को सर्विस टैक्स के रूप में अनावश्यक खर्च करना पड़ रहा है।

आवास में निवासरत लोगों को नॉमिनल राशि लेकर 99 वर्ष के लिए दे दी जाए तो कंपनी को अरबों रुपए प्रति वर्ष बचत होगी तथा प्राप्त राशि से नए आवास बनाकर कर्मचारियों को दिया जा सकता है। निवासरत लोग पुराने आवास में बिजली पानी संपत्तिकर का भुगतान स्वयं करेंगे। स्थानीय निकायों के माध्यम से इस तरह से कंपनी के पुराने आवासों में रह रहे लोगों के ऊपर अरबों रुपए खर्च से निजात मिलेगी। यह कंपनी वह देश के हित में है, इसकी जानकारी आवेदन में दी जाएगी।

पंप हाउस वासियों ने यह निर्णय लिया कि पंप हाउस आवास से किसी भी व्यक्ति को बेदखल करने से एकजुट होकर विरोध करेंगे तथा झुग्गी झोपड़ी में निवासरत सभी नागरिकों को तत्काल पट्टा दिलाने हेतु आंदोलन किया जाएगा। वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग लिया जाएगा।
बैठक में प्रमुख रूप से सर्वश्री नवल किशोर चौधरी, रामकिशोर यादव, सतीश केसरवानी, रामकुमार साहू, चंद्रहास यादव, अमर अली इतवारी दास, संतोष केवट, गीता चौहान, गुलाम हुसैन, फखरुद्दीन खान, राजेंद्र राठौर, लाला सिंह, संदीप बरमैया सहित भारी संख्या में पंप हाउस के निवासी उपस्थित थे।