कोरबा। करतला वन परिक्षेत्र में विचरण के दौरान गड्ढे में गिरकर घायल हाथी अब पड़ोसी रायगढ़ जिले के छाल रेंज में स्थित धंसकामुड़ा गांव का जंगल पहुंच गया है जो कोरबा जिला व करतला रेंज की सीमा से लगा हुआ है। घायल हाथी का लोकेशन यहां मिलने पर वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। वहीं कुदमुरा रेंज में सक्रिय हाथियों का दल भी अब फतेहपुर के रास्ते धरमजयगढ़ का रूख कर लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार घायल हाथी उपचार के बाद अब लगभग स्वस्थ हो गया है। उसके स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद वह जंगल होते हुए अब करतला रेंज की सीमा को पार कर लिया है और छाल रेंज के धंसकामुड़ा जंगल में पहुंचने के साथ विश्राम करने लगा है। जिसका लोकेशन कैमरे में कैद होने के बाद वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। इससे पहले घायल हाथी उपचार के बाद बड़मार व आसपास के जंगलों में विचरण कर रहा था और ज्यादा दूरी नहीं तय कर पाने के कारण क्षेत्र में ही जमा हुआ था।
कुछ दिन पूर्व घायल हाथी का लोकेशन नहीं मिलने पर वन विभाग की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि अधिकारियों द्वारा घायल हाथी के अन्यत्र जाने की संभावना जताई जा रही थी। इसका लोकेशन ट्रेस करने के लिए अधिकारी लगातार लगे हुए थे। आज सुबह घायल हाथी का लोकेशन धंसकामुड़ा जंगल में विश्राम करते हुए मिला। उधर कुदमुरा वन परिक्षेत्र में भी 26 हाथी गीतकुंआरी व एलोन के जंगल में लगातार विचरण कर रहे थे। हाथियों के क्षेत्र में लगातार बने रहने से ग्रामीणों को खतरा बना हुआ था, जिससे निपटने के लिए वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगातार सतर्क थे तथा हाथियों पर निगरानी रखने के साथ गांव में मुनादी कराकर ग्रामीणों को सावधान करने में लगे हुए थे। बताया जाता है कि हाथियों के इस दल ने भी धरमजयगढ़ का रूख कर लिया है।
बड़ी संख्या में मौजूद हाथियों के अन्यत्र जाने से वन विभाग के साथ-साथ कुदमुरा क्षेत्र के ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है जहां कोरबा वनमंडल में सक्रिय हाथियों ने पड़ोसी जिले का रूख कर लिया है वहीं कटघोरा वनमंडल के केंदई, जटगा व पसान क्षेत्र में अभी भी बड़ी संख्या में हाथी मौजूद हैं, जो लगातार उत्पात मचाने के साथ ही ग्रामीणों के मकान व फसल को क्षति पहुंचा रहे हैं। हाथियों के उत्पात से ग्रामीण परेशान हैं। भय के साए में रात गुजारने को ग्रामीण मजबूर हैं।