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कोरबा छत्तीसगढ़

प्रधान पाठक पदोन्नति में भ्रष्टाचार, ईडी व एसीबी से जांच की मांग, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

कोरबा। प्रधान पाठक प्राथमिक शाला जिला कोरबा की पदोन्नति में शासन के आदेशों, उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन कर पदोन्नति में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। मामले की जांच ईडी व एसीबी से कराने की मांग की गई है। साथ ही दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराने संबंधी ज्ञापन कलेक्टर जनचौपाल में लोक जनशक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे ने सौंपा है।

जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे ने बताया कि जिला कोरबा में प्रधान पाठक प्राथमिक शाला पदोन्नति में अनियमितता बरती गई है। पदोन्नति हेतु सर्वप्रथम 14 अक्टूबर 2023 को पृथक- पृथक पदोन्नति आदेश जारी किया गया, जोकि लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ के पत्र क्रमांक/पदोन्नति/2022/262 नया रायपुर के नियमों के अनुरूप नहीं है, जिसे देखते हुए जिलाधीश कोरबा ने पदोन्नति निरस्त कर दिया था, जिसकी जांच आज पर्यंत नही हुई एवं दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया। पदोन्नति आदेश निरस्त होने के उपरांत जिले के सहायक शिक्षक न्यायालय की शरण में जाने लगे, जिनमें ऐसे शिक्षक जो न्यायालय से निराकरण हेतु आदेश लेकर अभ्यावेदन प्रस्तुत किए थे, उनसे पदोन्नति समिति के सदस्यों ने भारी रकम वसूली कर उन्हे उपरोक्त लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देश के विरूद्ध विकासखंण्ड में स्थान रिक्त होते हुए भी अन्य विकासखण्ड में मनचाही जगहों पर निराकरण के नाम पर नियम विरूद्ध संसोधन कर दिया गया। नामवार, विकासखंडवार, पदस्थ संस्थावार आदेश दिनांक सहित सूची निम्नानुसार है। कई शिक्षकों का एक से अधिक बार संशोधन किया गया एवं पिछला आदेश को बड़ी चतुराई से जिला शिक्षा अधिकारी एवं कार्यालय लिपिक देव नारायण चौकसे द्वारा बदल दिया गया, जिसकी भी जांच कराई जाए।

अध्यक्ष जिला स्तरीय काउंसिलिंग समिति एवं सदस्यों के द्वारा उपरोक्त प्रत्येक पदोन्नत प्रधान पाठक से उनके मनचाहे जगह पर पोस्टिंग के नाम से लाखों की वसूली की गई है। न्यायालय के आदेश पर प्रधान पाठकों का काउंसिलिंग किया गया, मगर ऐसे प्रधान पाठक जिनके पदोन्नति आदेश में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा अंकित किया गया था कि ‘‘यह आदेश न्यायालय में लंबित प्रकरण 7358 के अंतिम निर्णय के अध्याधीन होगा‘‘ किन्तु जब उक्त प्रकरण पर काउंसिलिंग करने का निर्णय पारित हुआ फिर भी अध्यक्ष कांउंसिंलिंग समिति एवं सदस्यों के द्वारा लगभग 134 प्रधान पाठकों का काउंसिलिंग नहीं किया गया, जो अत्यंत दुर्भाग्यजनक है और जो स्पष्ट न्यायालय की अवमानना है।

0 मनमानी से अनेक स्कूल शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय

राजकुमार दुबे ने आरोप लगाया है कि जिला शिक्षा अधिकारी की मनमानी का असर यह हुआ कि कई स्कूल शिक्षक विहीन और कई स्कूल एकल शिक्षकीय हो गए जबकि उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है, कि शिक्षकविहीन व एकल शिक्षक स्कूल को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों की पदोन्नति की जाए। उसके बाद भी भ्रष्टाचार में डूबे जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षा विभाग के सारे नियम, कायदे, निर्देश, आदेश एवं शासन के नियमावली को ताक पर रखकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं। शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापन मुंहमांगी जंगह पर कर दिया गया। भ्रष्टाचार को बल तब और मिल जाता है जब आदेश के बाद भी सैकड़ो शिक्षकों की पदोन्नति पदस्थापना बिना काउंसलिंग के ही कर दी जाती है। भ्रष्टाचार इससे भी प्रमाणित होता है, कि कुछ स्कूल जो एकल शिक्षकीय थे, उन्हें शिक्षक विहीन कर दिया गया। कुछ स्कूलों को एकल शिक्षकीय कर दिया गया, शिक्षकों के पदोन्नति पदस्थापना में घूसखोरी किस हद तक भ्रष्टाचारियों के सर पर चढ़कर बोल रही थी, कि सहायक संचालक जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा बाकायदा शिक्षक का नाम स्कूल का नाम जहां पर स्थापना करना है, लिखकर कूपन जारी कर दिया गया। भ्रष्टाचार की एक और झलक तब देखने को मिलती है, जब संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ के द्वारा आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि पदांकन में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि पाई जाती है, तो उसके जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी संयुक्त संचालक होंगे। कोरबा जिले में पदोन्नति प्रदांकन आदेश को तत्कालीन कलेक्टर कोरबा के द्वारा यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया था कि यह त्रुटि पूर्ण है, उसके बावजूद जिम्मेदार जिला शिक्षा अधिकारी पर कोई कार्यवाही ना होना भी कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में उच्च पदस्थ अधिकारी का होना भी प्रतीत होता है।

पदोन्नति और पदस्थापना में हुआ भ्रष्टाचार इससे भी प्रमाणित होता है, जब जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा काउंसलिंग कमिटी स्वयं बनाई जाती है, और उस कमेटी में स्वयं को अध्यक्ष घोषित कर लिया जाता है, और उक्त कमेटी में शामिल काउंसलिंगकर्ता को काउंसलिंग में शामिल होने योग्य न होने के बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी की मेहरबानी से शामिल किया जाता है। 3 दिन की चली काउंसलिंग में कई दिन अध्यक्ष की अनुपस्थिति में ही काउंसलिंग कराई गई, और वह भी मान्यता पूर्ण मानी गई है, जबकि इसे किसी भी कीमत पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। भ्रष्टाचार की हद तो तब हो गई जब बिना नियम कानून के ही एक ही स्कूल में दो-दो प्रधान पाठकों की पदस्थापन कर दी गई। कुछ शिक्षकों का कहना है कि जो शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी की जेब नहीं भर सके, उन्हें नियम विरुद्ध डिमोशन करते हुए, अन्य स्कूलों में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया गया, जबकि उन शिक्षकों का मामला तत्कालीन समय में हाई कोर्ट में लंबित था, जबकि वह शिक्षक अपने स्कूल में वरिष्ठता श्रेणी में था, उसके बावजूद उसके नीचे के शिक्षक को उसी स्कूल में प्रधान पाठक बना दिया जाता है, यह सब मामला भ्रष्टाचार और घूसखोरी से ओत-प्रोत है।

0 छूटे लोगों की काउंसलिंग तत्काल कराएं

राजकुमार दुबे ने निवेदन किया है कि जिन शिक्षकों की काउंसलिंग आज पर्यंत नहीं कराई गई है. उनकी काउंसलिंग तत्काल करवाते हुए शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय स्कूल में पदस्थापन सुनिश्चित की जाए, ताकि छत्तीसगढ़ शासन के आदेश व उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन हो सके और जिला शिक्षा अधिकारी के लापरवाही व भ्रष्टाचार के कारण शिक्षा के अधिकार कानून की अनदेखी व बच्चों के भविष्य के साथ जिनके द्वारा अब तक खिलवाड़ किया गया है, उन्हें दंडित करते हुए उसकी भरपाई भी करवाई जाए। उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर किया जाएगा। विगत दिनों विभिन्न संभागो में सहायक शिक्षक से शिक्षक पदोन्नति के पदांकन में अनियमितता पाए जाने पर शिक्षा संभाग संयुक्त संचालक पर कार्यवाही की गई है परंतु आज पर्यंत इसी प्रकार की अनियमितता सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक पदोन्नति के पदांकन में होने पर भी जिला शिक्षा अधिकारी पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है, जो भ्रष्टाचार को प्रमाणित करती है एवं जांच का विषय भी है। लोक जनशक्ति पार्टी का कहना है कि यदि एक सप्ताह के अंदर समाधान की व्यवस्था नहीं की गई तो, इसकी शिकायत छत्तीसगढ़ शासन एवं भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय में किया जाएगा।

0 मनी लांड्रिंग के साथ करप्शन का आरोप

श्री दुबे ने कहा है कि मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में मनी लांड्रिंग के साथ-साथ करप्शन का मामला होने के कारण इस पूरे प्रकरण की जांच उच्च जांच एजेंसियों आर्थिक अनवेषण ब्यूरो, एंटी करप्शन ब्यूरो एवं एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) से भी कराई जानी चाहिए, ताकि जांच और कार्यवाही निष्पक्षतापूर्ण रूप से सुनिश्चित हो सके। साथ ही जिला शिक्षा विभाग में जो भ्रष्टाचार का एक बहुत बड़ा सिंडीकेट बना हुआ है जो अपनी ऊंची पकड़ का हवाला देकर निर्भीक होकर शिक्षको का शोषण कर रहे हैं, इन पर कार्यवाही हो पाए।