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कोरबा

छलपूर्वक क्रय किए गए आदिवासी जमीन को शासन के नाम पर दर्ज किए जाने का आदेश पारित

कोरबा। छलपूर्वक क्रय किये गये आदिवासी जमीन को शासन के नाम पर दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया है। यह आदेश एसडीएम न्यायालय से पारित किया गया है। आवेदिका शुकवारा बाई पति स्व. पंचराम वगै., निवासी- आंछीमार, तहसील- कोरबा के द्वारा ग्राम- कोरबा, पहनं 16, तहसील- कोरबा स्थित खनं- 236/3 रकबा 0.87 एकड़/0.352 हे0 भूमि जो कि आवेदकगण के पूर्वज चुलबुल कोरवा के नाम पर दर्ज रहा है, जिसे अनावेदिका रंजना सिंह के द्वारा अपने नाम पर राजस्व अभिलेखों में छलपूर्वक दर्ज करा लेने के कारण आवेदन पत्र अंतर्गत छ.ग.भू.रा. संहिता की धारा 170 (ख) के तहत प्रस्तुत कर आवेदिका गण अपने नाम पर दर्ज कराने हेतु प्रस्तुत की गई।

प्रकरण में सुनवाई करते हुए संलग्न दस्तावेजों के आधार पर आवेदकगण शुकवारा बाई बेवा पंचराम वगै. के द्वारा व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 कोरबा के समक्ष व्यवहार बाद क्रमांक 70 ए/2014 पेश किया गया कि जिसमें बुंदकुंवर एवं रंजना सिंह को भी पक्षकार के रूप में पक्षकार बनाया गया था।  व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 कोरबा ने अपने निर्णय दिनांक 05 अगस्त 2017 को आवेदक गणों का दावा निरस्त किया गया है, जिसके विरूद्ध आवेदक गणों के द्वारा अपर जिला न्यायाधीश कोरबा के समक्ष सिविल अपील प्रकरण क्रमांक 12 ए /2017 प्रस्तुत किया गया, जिसमें व्यवहार न्यायाधीश के निर्णय 28 नवंबर 2022 को वाद भूमि को आवेदक गणों की पैतृक भूमि नहीं होना निर्णय दिया गया है ।

छ.ग.भू.रा. संहिता 1959 की धारा 170 (ख) के तहत बनाये गये प्रावधानों के अनुसार यदि खातेदार की भूमि को छल कपट के द्वारा गैर आदिवासी व्यक्ति के द्वारा आदिवासी व्यक्ति से क्रय किया जाता है, तो मूलतः उस भूमि को आदिवासी पक्षकार को लौटा दी जायेगी। यदि आदिवासी पक्षकार का फौत हो चुका है, तो उसके विधिक वारिसानों को भूमि वापस कर दी जायेगी। यदि खातेदार का कोई विधिक वारिसान न हो तो भूमि को शासन के पक्ष में दर्ज किया जायेगा।

इस प्रकार व्यवहार न्यायालय के निर्णय अनुसार आवेदक गण एवं आपत्तिकर्ता गण चुलबुल के वैध वारिस नहीं है तथा चुलबुल के वारिसान बुंदकुंवर का निःसंतान फौत हो जाने के कारण ग्राम- कोरबा, पह0नं0-16, तहसील- कोरबा स्थित भूमि ख0नं0- 236/3 रकबा 0.87 एकड़ / 0.352 हे. को वर्तमान में अनावेदिका रंजना सिंह के नाम पर दर्ज है, जो छलकपट पूर्वक अंतरण हुआ है, जिस पर संहिता की धारा 170 (ख) आकृष्ट होने से आवेदित भूमि के अंतरण को शून्य घोषित करते हुए राजस्व अभिलेखों से रंजना सिंह का नाम विलोपित करते हुए छ.ग. शासन के नाम पर दर्ज करने का आदेश पारित किया गया गया तथा तहसीलदार कोरबा को निर्देशित किया गया है कि वाद भूमि का आधिपत्य अनावेदिका रंजना से प्राप्त कर शासन के पक्ष में रखा जावे।