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कोरबा

हसदेव अरण्य की सुरक्षा को लेकर पदयात्रा, शुक्ला बोले- जंगल मिटे तो मानव-हाथियों के बीच संघर्ष होगा तेज, खड़ी होगी समस्याएं

कोरबा । सरगुजा संभाग में मौजूद हसदेव अरण्य की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से लड़ाई जारी है। कई वर्षों से लोग जल व जंगल की लड़ाई लड़ रहे हैं। एक बार फिर से लोगों ने बिलासपुर से हरिहरपुर के लिए पदयात्रा शुरू की है। कोरबा पहुंचने पर यात्रा के संयोजक ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने चिंता जाहिर की कि हसदेव के जंगल से इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों और उद्योगों के हित जुड़े हुए हैं। इसका विनाश होने पर कई खतरे सामने आ सकते हैं।

हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला का विशाल भंडार मौजूद है। इसके दोहन के लिए सरकार ने योजना बनाई है। काफी समय से केंद्र और राज्य के टकराव के साथ लोगों के विरोध के के कारण मामला अटका हुआ है। कई स्तर पर इस क्षेत्र से कोयला के निकासी को लेकर समर्थन करने वाला एक वर्ग है तो दूसरा पर्यावरण सुरक्षा की दुहाई देकर जंगलों की कटाई नहीं करने की बात कर रहा है।
पदयात्रा जंगलों को बचाने के लिए बिलासपुर से शुरू की गई है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील लोग इस यात्रा का हिस्सा है। पदयात्रा के कोरबा पहुंचने पर संयोजक आलोक शुक्ला ने मीडिया से बातचीत की और उद्देश्य को बताया। उन्होंने चिंता जताई है कि अगर हसदेव के जंगल समाप्त हो जाते हैं तो मानव व हाथियों के बीच का संघर्ष और तेज होगा। हसदेव में पानी नहीं आने से 9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित होगी और इंसानों के सामने भी समस्याएं खड़ी होगी।
आलोक शुक्ला ने कहा कि नवंबर में यात्रा की शुरुआत बिलासपुर से की गई। 8 दिसंबर को हसदेव अरण्य क्षेत्र में पहुंचने के साथ यह पूरी होगी। बताया जा रहा है कि यात्रा के अंतर्गत लोगों के अनुभव और रिपोर्टिंग को सरकार व पर्यावरण मंत्रालय  के सामने रखा जाएगा।

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