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कोरबा

देश का संविधान खतरे में, सिविल सोसायटी को आना होगा आगे : शाह

कोरबा। भाजपा की मोदी सरकार देश के मौजूदा संविधान को परिवर्तित कर तानाशाही शासन व्यवस्था लागू करना चाहती है। भारत का संविधान खतरे में है, देश का लोकतंत्र खतरे में है और इसे बचाने के लिए सभी प्रकार के सामाजिक संगठनों को मुखर होकर आगे आना होगा। वर्तमान भाजपा की मोदी सरकार वास्तव में कार्पोरेट सरकार है  जो कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के हाथों की कठपुतली बन गई है। इनकी पॉलिसी कार्पोरेट को बढ़ाने की है। मोदी के शासनकाल में आदिवासी असहज महसूस कर रहा है। उक्त बातें प्रेस क्लब तिलक भवन में पत्रकारवार्ता के दौरान छतीसगढ़ आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष केआर शाह ने कही।

उन्होंने कहा कि इस सरकार से सबसे बड़ा खतरा देश के आदिवासियों और उसके जल, जंगल, जमीन को है। श्री शाह ने कहा कि वर्ष 2023 में मोदी सरकार ने वन भूमि अधिकार अधिनियम में संशोधन कर पांचवी व छठवी अनुसूची वाले आदिवासी क्षेत्रों की भूमि को बिना ग्राम सभा अनुमति के अधिग्रहित करने का कानून संसद में पास करा लिया है। मोदी सरकार पुनः सत्ता में आयेगी तो बस्तर और सरगुजा की जमीने उद्योगपतियों को दे दी जायेगी।

देश तेजी से अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है। स्वायत्त संस्थाओं पर शासन का पूर्णतया नियंत्रण है। देश में एक प्रकार से अघोषित आपातकाल की स्थिति है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को भी स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने से रोका जा रहा है। सारा विपक्ष भयभीत है। मध्य भारत की इकलौती आदिवासी झारखण्डी सरकार के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जमीन घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल में डाल रखा है। मामला राजस्व से संबंधित है लेकिन कार्यवाही ईडी कर रही है, इससे स्पष्ट पता चलता है कि केन्द्र सरकार अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर राजनैतिक विद्वेष फैला रहा है।

विधानसभा चुनाव के दौरान सरगुजा में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आदिवासियों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि, मेरे रहते आदिवासियों के जंगल और जमीन को कोई माई का लाल आंख उठाकर नहीं देख सकता। आपका बेटा आपके जंगल और जमीन की रक्षा करेगा। लेकिन सत्ता में बैठते ही भाजपा की डबल इंजन सरकार ने हसदेव अरण्य की विशाल हरी भरी भूमि के लाखों वृक्षों को काटकर मरूस्थल में तब्दील कर दिया।

मोदी सरकार के 10 सालों में आदिवासियों के लिए एक भी ऐसा कार्य नहीं किया गया, जिसे माइलस्टोन कहा जा सके। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सत्ता सम्भालते ही नक्सलवाद के उन्मूलन के नाम पर पुनः फर्जी एनकाउण्टर प्रारंभ हो गये है। निर्दोष आदिवासियों को जेल में डालकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया है।

श्री शाह ने आगे कहा कि  वर्तमान लोकसभा चुनाव भारत के आदिवासियों के अस्तित्व को संरक्षित रखने वाला चुनाव है। आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन को बचाने का चुनाव है। अतः सभी सिविल सोसायटी को मुखर होकर सामाजिक न्याय के लिए सामने आना होगा। मैं एक सीनियर सोशल लीडर की हैसियत से अपने समाज को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करता रहूंगा।