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कोरबा

कूप कटिंग प्रशिक्षण के दौरान पहुंच गए सैकड़ों ग्रामीण, विरोध जताते हुए कहा- जंगल उनके गांव की… फिर बुलानी पड़ी पुलिस

कोरबा । तराईमार के जंगल में कूप कटिंग के लिए आयोजित प्रशिक्षण के दौरान कोलगा के ग्रामीण भारी संख्या में मौके पर पहुंच गए। वे प्रशिक्षण कार्यक्रम की सूचना नहीं दिए जाने का आरोप लगाने लगे। उन्होनें जंगल को अपना बताते हुए पेड़ कटाई का विरोध शुरू कर दिया। किसी अनहोनी के मद्देनजर मौके पर पुलिस बुलानी पड़ी। वन अफसर और पुलिस ने उन्हें समझाया। इसके अलावा त्रिपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव रखा, तब कहीं जाकर ग्रामीण शांत हुए। करीब ढाई घंटे बाद फिर से कार्यक्रम शुरू हो सका।

दरअसल कोरबा वनमंडल में 21 नवंबर को सिलेक्शन कम इम्प्रूवमेंट (एसीआई) कूप कटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित था। इसके लिए पसरखेत रेंज के तराईमार जंगल के कक्ष क्रमांक 1128 चुना गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) प्रभात मिश्रा कोरबा पहुंचे हुए थे। वे वनमंडल कार्यालय से सीधे प्रशिक्षण स्थल पहुंचे, जहां कोरबा डीएफओ अरविंद पीएम व कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत के अलावा सारंगढ़, मुंगेली तथा बिलासपुर वनमंडलाधिकारी सहित आला अधिकारी व कर्मचारी भारी संख्या में मौजूद थे।
सीसीएफ मिश्रा की मौजूदगी में वन कर्मियों को कूप कटिंग के संबंध में जानकारी दी जा रही थी। उन्हें बताया जा रहा था कि एसीआई के तहत किस तरह के पेड़ों की कटाई की जा सकती है। इसके लिए पेड़ का चुनाव कैसे किया जाना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम चल ही रहा था कि इसी बीच ग्राम कोलगा के ग्रामीण भारी संख्या में पहुंच गए। उन्होंने मौके पर विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि जंगल उनके गांव का है, जहां प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसकी जानकारी न तो पंचायत को दी गई और न ही वन प्रबंधन समिति को। वन अफसरों द्वारा पंचायत और वन प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों से रायशुमारी करना भी मुनासिब नही समझा गया।
ऐसी कई अन्य तर्क देते हुए ग्रामीण पेड़ कटाई का विरोध  करने लगे। वे किसी की सुनने तैयार भी नही थे। जिससे वन अफसरों को अनहोनी की आशंका सताने लगी। वन अफसरों ने पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को अवगत कराया। उनके निर्देश पर करतला थाना प्रभारी कृष्ण कुमार वर्मा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस की मौजूदगी में वन अफसरों ने ग्रामीणों को समझाया। उनमें जंगल को लेकर भ्रम को दूर किया गया। पुलिस ने ग्रामीणों की मांग पर दो दिन बाद त्रिपक्षीय वार्ता कर निर्णय लिए जाने का आश्वासन दिया, तब कहीं जाकर अधिकारी कर्मचारियों का कूप कटिंग के गुर सिखाने की प्रक्रिया शुरू हो सकी।