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मध्यप्रदेश

छत्तीसगढ़ के 8 बंधुआ मजदूरों को कराया गया मुक्त, बलरामपुर के लेबर इंस्पेक्टर ने शिवपुरी प्रशासन को दी थी सूचना

शिवपुरी।  जिला प्रशासन की टीम ने छत्तीसगढ़ के 8 मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया है। इन मजदूरों को एक खेत पर रखा गया था और इन्हें ना तो उचित वेतन दिया जा रहा था ना ही पर्याप्त भोजन दिया जा रहा था। जिला प्रशासन को सूचना मिली थी, इसके बाद जिला प्रशासन की टीम ने संबंधित खेत मालिक के यहां कार्रवाई करते हुए इन आठ मजदूरों को मुक्त कराया है। इनमें चार नाबालिग मजदूर भी शामिल हैं। जिन मजदूरों को मुक्त कराया गया है उनमें दो अजीत (16 वर्ष) पिता राजेंद्र, राजू (16वर्ष) पिता बबलू, राजेश (20वर्ष) पिता रामौतार, सुंदर सहाय (15वर्ष) पिता रामौतार, नानसाय (19वर्ष) पिता माधौ, संतोश (16वर्ष) पिता हीरा सहाय, कुलदीप (22वर्ष) पिता रामसूरत, मदन कुमार (32वर्ष) के नाम शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ से मिली थी सूचना इसके बाद एक्टिव हुआ प्रशासन

बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के लेबर इंस्पेक्टर ने शिवपुरी प्रशासन को मजदूरों के बंधुआ बनाए जाने की सूचना दी थी। इस पर कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने एसडीएम उमेश कौरव को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। एसडीएम ने पुलिस और लेबर इंस्पेक्टर आशीष तिवारी के साथ मिलकर मानिकपुर गांव स्थित धर्मेंद्र रावत के कृषि फार्म पर छापा मारा। यहां से बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया।

मजदूरों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को बताया कि उन्हें छत्तीसगढ़ से ग्वालियर मजदूरी के लिए लाया गया था। यहां ग्वालियर के एक दलाल ने उन्हें बोरवेल मशीन के स्टाफ को सौंप दिया। पहले उन्हें भिंड और ग्वालियर में काम कराया गया और तीन दिन पहले शिवपुरी लाया गया था। मजदूरों को काम के बदले पूरे पैसे नहीं दिए गए और उन्हें पर्याप्त भोजन भी नहीं मिलता था।

चार नाबालिग से भी कराई जा रही थी मजदूरी- इस मामले में शिवपुरी एसडीएम उमेश कौरव ने बताया कि मजदूरों के बयान दर्ज कर लिए हैं। बयान के आधार पर ठेकेदार और उसके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है। प्रशासन मजूदरों को छत्तीसगढ़ लौटने की व्यवस्था कर रही है। जिन बंधुआ मजदूरों को छुड़वाया गया, उसमें चार नाबालिग भी शामिल हैं।

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