जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने किशोरी दुष्कर्म पीड़िता की आठ सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी है और उसके पिता को एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें कहा गया है कि वे मुकदमे के दौरान अपने आरोप से पीछे नहीं हटेंगे। उच्च न्यायालय ने 2 जनवरी को आदेश पारित किया था।
उच्च न्यायालय ने 2 जनवरी को आदेश पारित किया, जिसमें नाबालिग पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका को स्वीकार कर लिया। पिता को सागर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के समक्ष एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें उल्लेख किया गया कि आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया था और गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए याचिका दायर की है। याचिका पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया की बेंच ने सुनवाई की।
राज्य के सागर जिले में दर्ज शिकायत के अनुसार, पिछले साल 23 अक्टूबर को एक आरोपी द्वारा दुष्कर्म के बाद लगभग 17 साल की लड़की गर्भवती हो गई थी। अदालत के आदेश में कहा गया है, उसकी शिकायत के आधार पर, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376, 376 (2) (एन), यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धाराओं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के तहत अपराध (अत्याचार निवारण) अधिनियम पंजीकृत किया गया है।
अदालत ने कहा, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता की गर्भावस्था समाप्त होने से पहले, याचिकाकर्ता के पिता सागर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के समक्ष अपना हलफनामा प्रस्तुत करेंगे कि उसके साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया था और अपनी नाबालिग बेटी की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए रिट याचिका दायर की है और इस अदालत द्वारा दी गई अनुमति के आलोक में, वह अपनी नाबालिग बेटी की गर्भावस्था को समाप्त कराने के लिए तैयार है।
अदालत के आदेश में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता और उसके पिता को भी जांच अधिकारी को इस आशय का एक हलफनामा देना होगा कि चूंकि उन्होंने आरोपी पर दुष्कर्म के आरोप पर लड़की की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की मांग की है, इसलिए वे मुकदमे के दौरान भी अपने बयान से पीछे नहीं हटेंगे।
आदेश में यह भी कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया जाता है कि अगर पीड़िता मुकर जाती है और दावा करती है कि आरोपी ने कोई दुष्कर्म नहीं किया है या वह खुद के बालिग होने का दावा करती है तो ट्रायल कोर्ट को इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने के साथ-साथ पीड़िता की गवाही पत्र भी जमा करना होगा।
जांच अधिकारी को उक्त शपथ पत्र की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है और उसे केस डायरी में रखा जाएगा और मेडिकल बोर्ड के समक्ष भी पेश किया जाएगा। कोर्ट ने आदेश में कहा, इसके पेश होने के बाद ही बोर्ड गर्भपात करेगा।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि लड़की ने अपने पिता के माध्यम से एक याचिका दायर कर अदालत से याचिकाकर्ता (एक नाबालिग लड़की) को न्याय के हित में आठ सप्ताह और पांच दिन की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की।