जबलपुर | सिहोरा-कुंडम विधानसभा से कांग्रेस द्वारा घोषित प्रत्याशी एकता ठाकुर के जाति प्रमाण-पत्र को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने संबंधितों को नोटिस जारी किया है| जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने राज्य शासन, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, जबलपुर कलेक्टर, एकता ठाकुर एवं अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है|
इस मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह के उपरांत नियत है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान फर्जी जाति प्रमाण-पत्र का संभवत: यह पहला मामला है जिसमें हाईकोर्ट ने सर्वसंबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश जारी किये हैं|
जानकारी अनुसार जबलपुर जिले की कुंडम तहसील निवासी रेणुका बाई और नवल सिंह बरकड़े ने न्यायालय में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया है कि सिहोरा-कुंडम विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी एवं अनावेदक एकता ठाकुर का अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र फर्जी है। इसके साथ ही कहा गया है कि अनावेदक एकता अनुसूचित जनजाति वर्ग की नहीं है। याचिका में प्रमाण-पत्र की वैधानिक तरीके से जाँच करवाने और न्याय करने की बात कही गई|
आवेदनकर्ताओं की तरफ से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता आरबी तिवारी, रोहित पैगवार व संजय सिंह सेंगर ने बतौर तर्क कहा कि अनावेदक ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए फर्जी तरीके से जाति प्रमाण-पत्र हासिल किया है। ऐसे में अनावेदक के जाति प्रमाण-पत्र की जाँच आवश्यक हो जाती है और यह न्यायसंगत भी है। प्रारंभिक सुनवाई उपरांत ही बाद एकल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश जारी कर दिए हैं| इससे सिहोरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति गर्मा गई है|