मुंबई। पुलिस के इंस्पेक्टर दया नायक एक बार फिर सुर्खियों में हैं। वे वर्तमान में पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या की जांच का नेतृत्व कर रहे हैं। मुंबई क्राइम ब्रांच ने उन्हें इस हाई-प्रोफाइल केस की जिम्मेदारी सौंपी है।
1995 में दया नायक पुलिस बल में शामिल हुए और उनकी पहली पोस्टिंग जुहू पुलिस स्टेशन में हुई। नए साल की पूर्व संध्या पर उन्हें छोटा राजन के गिरोह के दो सदस्यों के बारे में सूचना मिली। जब उन्होंने उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया, तो उन्होंने उन पर गोली चला दी। आत्मरक्षा में दया ने दोनों बदमाशों को गोली मार दी, जो उनकी पहली मुठभेड़ थी। शुरू में विभागीय नतीजों के बारे में चिंतित रहने वाले दया जल्द ही अपने निर्णायक कार्यों के लिए पहचाने जाने लगे।
छोटा राजन के गिरोह का किया सफाया
1999 से 2003 के बीच दया नायक ने दाऊद इब्राहिम के भाई छोटा राजन के गिरोह को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान उनके प्रयासों ने उन्हें पहचान दिलाई, लेकिन वे विवादों में भी घिरे। 2003 में एक पत्रकार ने उन पर दाऊद के गिरोह से मिले पैसे का इस्तेमाल स्कूल खोलने में करने का आरोप लगाया था। हालांकि कोर्ट के आदेश पर मकोका के तहत आरोप दर्ज किए गए थे, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया।
विवादों से जुड़ा दया नायक का जीवन
दया नायक को अपने पूरे कॅरियर में कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आपराधिक गिरोहों से फंडिंग से जुड़े आरोपों के अलावा, उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी फंसाया गया था। हालांकि, 2010 में हाई कोर्ट ने इन आरोपों से मुक्त कर दिया, जिससे पुलिस बल में उनकी स्थिति मजबूत हुई।
इन विवादों के बावजूद, दया नायक मुठभेड़ों में अपने व्यापक अनुभव के कारण एक प्रमुख व्यक्ति बने हुए हैं। वह अपने पूरे करियर में 87 से ज़्यादा एनकाउंटर्स में शामिल रहे हैं। उच्च दबाव वाली स्थितियों को संभालने की उनकी क्षमता ने उन्हें मुंबई पुलिस विभाग के लिए एक एसेट बना दिया है।