इंदौर । महिला के इलाज में लापरवाही बरतने वाले डा. सीपी कोठारी और डा. बीएस ठाकुर पर जिला उपभोक्ता आयोग ने 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। डाक्टरों को यह रकम 30 दिन के भीतर देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उन्हें इस रकम पर छह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी लगेगा। आयोग ने माना कि डाक्टरों की लापरवाही की वजह से महिला को अत्याधिक शारीरिक और मानसिक त्रास हुआ। उसे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
मामला साईंनाथ कालोनी निवासी रेणुका पति डा. मधुकर गुप्ता का है। वे एक अप्रैल 2013 को गाल ब्लेडर स्टोन और हार्निया की आशंका में डा.सीपी कोठारी के क्लीनिक पर जांच कराने पहुंची थीं। डा. कोठारी ने उन्हें कुछ जांचें कराने के लिए कहा। इन जांचों की रिपोर्ट देखने के बाद महिला को पहले सीएचएल अस्पताल और फिर बाद में ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती किया गया।
ग्रेटर कैलाश अस्पताल में डा. बीएस ठाकुर ने महिला की जांच की। एंडोस्कोपी में गड़बड़ी हुई। इस वजह से महिला को रक्तस्राव होने लगा। बावजूद इसके डाक्टरों ने महिला और उसके पति जो खुद डाक्टर हैं, को इस गड़बड़ी की जानकारी नहीं दी। इस वजह से महिला को अत्याधिक शारीरिक कष्ट उठाना पड़ा।
उसे इलाज के लिए गुड़गाव ले जाना पड़ा। उसे वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। आखिर किसी तरह उसकी जान तो बच गई, लेकिन कष्ट कम नहीं हुए।
महिला ने एडवोकेट अमिताभ उपाध्याय के माध्यम से डा. कोठारी और डा. ठाकुर के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में गुहार लगाई। मेडिकल बोर्ड ने भी 2014 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में माना था कि लापरवाही तो हुई है। 21 जून 2016 को प्रकरण लंबित रहने के दौरान ही महिला की मौत हो गई।
एडवोकेट उपाध्याय ने बताया कि जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रकरण का निराकरण करते हुए डा. कोठारी और डा. ठाकुर पर 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। डाक्टरों को इस रकम का भुगतान आदेश की प्रति मिलने के 30 दिन के भीतर करना होगा। ऐसा नहीं करने से उन्हें 22 दिसंबर 2013 से उक्त रकम पर छह प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। इस रकम के अलावा डाक्टरों को परिवादी को 10 हजार रुपये परिवाद व्यय के रूप में भी देने होंगे।
