नई दिल्ली. टॉप टेरेरिस्ट और हिज्बुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है. पाकिस्तान में उसे खुलेआम हिज्बुल के एक आतंकवादी के जनाजे की अगुवाई करते देखा गया. इस मौके पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अफसर भी मौजूद थे. मारा गया आतंकी इम्तियाज आलम भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक था, जिसे पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी. सूत्रों ने बताया कि रावलपिंडी में एक दुकान के बाहर पॉइंट ब्लैंक रेंज से हिज्बुल कमांडर को गोली मारी गई थी. इम्तियाज कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला था और बीते 15 साल से वह पाकिस्तान में था. भारत ने आतंकी गतिविधियों में उसकी भूमिका के लिए मारे गए हिजबुल कमांडर को 4 अक्टूबर, 2022 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आतंकवादी नामित किया था. सैयद सलाउद्दीन को जनाजे में शामिल होने की अनुमति ISI द्वारा दी गई थी. उन्होंने कहा कि रावलपिंडी में उसकी मौजूदगी बताती है कि पाकिस्तानी सेना इन समूहों की मदद कर रही है. हालांकि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की जांच के दायरे में है और हाल ही में पेरिस स्थित निगरानी संस्था द्वारा ग्रे सूची से हटा दिया गया था.
कई मंचों पर भारत उठाएगा मामला
हालांकि, रावलपिंडी में मोस्ट वांटेड आतंकवादी की मौजूदगी से पता चलता है कि एफएटीएफ को अनुपालन के बारे में गलत जानकारी दी गई थी. सूत्रों ने कहा कि भारत, जो एफएटीएफ के साथ मिलकर काम कर रहा है, इस मुद्दे को कई मंचों पर उठाएगा. पिछले महीने प्रकाशित संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एफएटीएफ के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिससे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं. रावलपिंडी में इम्तियाज की हत्या, हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखी जा रही है. यह सैयद सलाहुद्दीन और पाकिस्तान में स्थित अन्य हिज्बुल कमांडरों के लिए एक संदेश हो सकता है.