नई दिल्ली। रेल दुर्घटनों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे लगातार अपना इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलाॅजी को अपग्रेड करने में लगा हुआ है। ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए जहां कई तरह की नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है वहीं पटरियों, सिग्नल और रास्तों को भी हाईटेक बनाने का प्रयास जारी है। इसके लिए नई तकनीक के डिवाइस लगाई जा रही है।
इसी क्रम में अब नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर आधारित एक ऐसा डिवाइस बना रही है जो ट्रेनों के लोको पायलट को नींद आने की स्थिति में उन्हें अलर्ट कर देगा और अगर लोको पायलट द्वारा रिस्पॉन्स नहीं दिया जाता है, तो ये इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेनों को रोकने का भी काम कर सकता है।
रेलवे बोर्ड ने एनएफआर को एक ऐसा डिवाइस बनाने के लिए कहा था जो कि लोको पायलट की पलकों को देखकर ये पता लगाएगा कि कहीं ड्राइवर को नींद तो नहीं आ रही है। रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस डिवाइस को रेलवे चालक सहायता सिस्टम (आरडीएएस) के नाम से जाना जाएगा। ये डिवाइस न केवल लोको पायलट को अलर्ट करेगा, बल्कि एक निश्चित समय तक चालक के सक्रिय नहीं होने पर खुद निर्णय लेते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेनों को रोक भी सकेगा। इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए आरडीएएस को एक विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस के साथ जोड़ा जाएगा। हालांकि रेलवे का यह डिवाइस अभी विकसित हो रहा है और इसके कई सारे टेस्ट किए जा रहे हैं।
0 मालगाड़ी पर किया जाएगा प्रयोग
रेलवे बोर्ड ने दो अगस्त को एनएफआर को पत्र लिखा और आरडीएएस के विकास में तेजी लाने के लिए कहा। इस पत्र में यह भी कहा गया कि एक बार डिवाइस के तैयार हो जाने के बाद इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 20 मालगाड़ी इंजन (डब्ल्यूएजी9) और पैसेंजर ट्रेन इंजन (डब्ल्यूएजी7) में लगाया जाएगा। रेलवे के सभी जोन से इस प्रणाली के इस्तेमाल के बाद इसकी कार्यप्रणाली पर अपनी प्रतिक्रिया भी देने को कहा गया है ताकि इसमें और सुधार किया जा सके।