भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नौ जनवरी को कक्षा में दो उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग का अपना महत्वाकांक्षी प्रयोग करेगा। यह प्रयोग सात जनवरी को निर्धारित था, लेकिन इसे गुरुवार सुबह के लिए स्थगित कर दिया गया। अगर इसरो अपने इस मिशन में सफल रहा तो भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक रखने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
इसरो ने 30 दिसंबर को किया था प्रक्षेपित
इसरो ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी सी60 राकेट की मदद से एसडीएक्स 01 (चेजर) और एसडीएक्स 02 (टारगेट) नामक दो उपग्रहों को इस मिशन के तहत प्रक्षेपित किया था। लगभग 220-220 किलोग्राम वजन वाले इन दोनों छोटे उपग्रहों को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया था।
स्पैडेक्स एक महत्वपूर्ण परियोजना
इसरो के अनुसार, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) मिशन दोनों उपग्रहों का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग की किफायती प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन का मिशन है। यह तकनीक भारत की अंतरिक्ष योजनाओं के लिए आवश्यक है। जैसे भारतीय को चंद्रमा पर भेजना, चंद्रमा से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि।
इसरो ने कहा कि स्पैडेक्स एक महत्वपूर्ण परियोजना है, इसे दो छोटे उपग्रहों के इस्तेमाल से अंतरिक्ष यानों को जोड़ने, डॉकिंग व अनडॉकिंग के लिए आवश्यक तकनीक विकसित व प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
30 दिसंबर को इसरो ने मिशन किया था लॉन्च
इसरो ने 30 दिसंबर को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। पीएसएलवी सी 60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों एसडीएक्स 01 और एसडीएक्स 02 व 24 पेलोड के श्रीहरिकोटा के सतीश धवनअंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के लगभग 15 मिनट बाद करीब 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।
क्यों अहम है स्पैडेक्स मिशन?
मिशन के तहत इसरो अंतरिक्ष में दो छोटे अंतरिक्ष यान के साथ डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करेगा। इस मिशन के सफल होने पर भारत को कई अन्य अभियान में मदद मिलेगी। चंद्रयान-4 के मिशन के तहत भारत चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाने की तैयारी कर रहा है। अगर डॉकिंग मिशन सफल रहा तो चंद्रमा से नमूने लाना आसान होगा। भारत अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने की तैयारी में है। मगर स्टेशन के लिए डॉकिंग तकनीक का होना आवश्यक है।