नईदिल्ली। ‘बांग्लादेशमें अब हम हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है। अधिकांश परिवार देश छोड़ने की तैयारी कर चुके हैं। सैकड़ों हिंदू परिवार सीमा की ओर निकल पड़े हैं, लेकिन बार्डर सील होने की वजह से वह पार नहीं कर पा रहे हैं। वहीं अन्य जिलों में भी सक्षम हिंदू परिवार देश छोड़ने की तैयारी में हैं।
हमें नहीं पता कि हम पलायन भी कर पाएंगे या नहीं.. या फिर उससे पहले ही जमातियों व उपद्रवियों के हाथों मारे जाएंगे।’ यह दर्दनाक आपबीती है बांग्लादेश में रह रहे उन लाखों हिंदू परिवारों की, जिन्होंने वर्ष 1971 में बांग्लादेश को आजाद करने में भूमिका निभाई। देश आजाद होने के बाद भी कई बार दंगे हुए हिंदुओं पर अत्याचार हुए, मंदिर तोड़े गए, लेकिन इन परिवारों ने देश छोड़ने से इनकार कर दिया था, मगर इस बार सब्र का बांध टूट रहा है। वे कहते हैं, अब हमारे पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
यह कहना है बागोड़ा जिले के रहने वाले ख्यात गायक सुशीलचंद्र सरकार का। उनका कहना है कि हमने कई बार हमले देखे, लेकिन इस बार जैसी स्थिति पहले कभी नहीं थी। 1971 में हम मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे, लेकिन इस बार जमातियों के निशाने पर सिर्फ हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय ही हैं। आंखों के सामने मंदिर तोड़े जा रहे हैं। किसी भी समय हमारे घर पर हमला हो सकता है। बार्डर खुलते ही हम लोग देश छोड़ देंगे, लेकिन उससे पहले हमारे साथ क्या होगा, यह नहीं पता। अवामी लीग नेता और त्रान व समाज कल्याण कमेटी के उपसदस्य अजय कुमार सरकार बताते हैं। बांग्लादेश के कुल 64 जिले में से 21 जिलों में हिंदू आबादी है। इनमें फिरोजपुर, गोपालगंज, बाघेरहाट, खुलना, जशोर, बागुड़ा, जिलेदा, झालोकाठी, बोड़िशाल, दिनाजपुर, पंचोग्राम, बोगुड़ा, लालमोनिर हाट, कुड़ीग्राम, रंगपुर आदि प्रमुख जिले हैं। 1986 का दौर था, जब मैं और मेरे गांव के बच्चे मुसलमान आबादी को देखने के लिए गांव से 10 किमी दूर जाते थे, क्योंकि अधिकांश हिस्सा हिंदुओं के पास था। आज चंद घर बचे हैं। इस बार ये घर भी नहीं बचेंगे। दूपचाचिया, आदोमदिघी में तो परसों रात से ही हिंदू परिवारों के घरों पर हमले हो रहे हैं।