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20 राज्यों में होगा शाही लीची के बाग का विस्तार, मुजफ्फरपुर से देशभर में जाएंगे पौधे

मुजफ्फरपुर। दक्षिण से लेकर उत्तर भारत के राज्यों में मुजफ्फरपुर की शाही लीची का विस्तार होगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर की ओर से कराए गए अध्ययन में 20 राज्यों में लीची के अनुकूल मिट्टी और जलवायु पाए गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, असम, मध्य प्रदेश, ओडिशा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, मिजोरम, गुजरात, महाराष्ट्र व अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।

अध्ययन के आधार पर अनुसंधान केंद्र उक्त राज्यों में लीची के बाग विस्तार पर काम करेगा। पहले चरण में पांच हजार हेक्टेयर में बाग लगाए जाएंगे। करीब 125 हेक्टेयर के साथ कर्नाटक में इसकी शुरुआत हुई है। लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक और वरीय विज्ञानी डॉ. विकास दास ने हाल में वहां के कुर्ग स्थित बाग व लीची प्रदर्शनी का भ्रमण किया है। कर्नाटक में लीची का फलन हो रहा है। बागों में फल की तुड़ाई चल रही है। वहीं से गुणवत्ता के अनुसार 200 से 250 रुपये प्रतिकिलो बिक्री हो रही है।

मुजफ्फरपुर में बढ़ेगी पौधा उत्पादन क्षमता

दक्षिण भारत के राज्यों में लीची बाग के विस्तार में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु का सहयोग मिलेगा। इसकी यूनिट केंद्रीय बागवानी प्रयोग स्टेशन, चेट्टल्ली के माध्यम से आनेवाले दिनों में पौधा उपलब्ध कराने का अभियान चलाया जाएगा। इसी तरह अन्य राज्यों में भी विस्तार होगा। इसके लिए मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में पौधशाला की क्षमता बढ़ाई जाएगी। अभी यहां सालाना 50 हजार पौधे तैयार किए जाते हैं। इनमें शाही के अलावा चाइना, गंडकी लालिमा, गंडकी संपदा और गंडकी योगिता प्रभेद भी होंगे।

पांच वर्ष पहले किया गया था अध्ययन

डॉ. विकास दास ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई कि लीची के लिए इन राज्यों की मिट्टी व जलवायु उपयुक्त हैं। यहां पर किसान व्यावसायिक खेती कर सकते हैं। इसका प्रकाशन द इजिप्टियन जर्नल आफ रिमोट सेंसिंग एंड स्पेस साइंसेज में हुआ है। मुजफ्फरपुर की जलवायु और मिट्टी में लीची का बेहतर उत्पादन होता है। इसके तुलनात्मक आधार पर इन राज्यों में शोध कराया गया था। इनमें बंगाल, उत्तराखंड व असम सर्वाधिक उपयुक्त राज्य हैं।

हर साल तैयार होते पौधे

निदेशक ने बताया कि वर्ष 2013 में लीची पौधशाला लगाई गई थी। इसका उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि लीची के बाग का विस्तार है। एक पौधा 100 रुपये में बिकता है। इसको तैयार करने में 80 से 90 रुपये खर्च होते हैं। अगस्त से अक्टूबर तक पौधे तैयार किए जाते, फरवरी से इनकी बिक्री होती है। जुलाई व अगस्त सबसे महत्वपूर्ण मौसम रहता है।