नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रक्षा मंत्रालय के रक्षा कार्यालय परिसर, नई दिल्ली के प्रधान रक्षा लेखा नियंत्रक कार्यालय के एक वरिष्ठ लेखा परीक्षक और एक निजी कंपनी के मालिक और उसके कर्मचारी सहित तीन लोगों को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई की। आरोपियों पर 10 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है। CBI ने 7 फरवरी 2025 को इस मामले में केस दर्ज किया था। शिकायतकर्ता खुद भी एक डिफेंस सप्लायर है।
भुगतान के बदले मांगी गई रिश्वत- शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ ऑडिटर और एक प्राइवेट डिफेंस सप्लायर ने उसके पहले से मंजूर हो चुके बिलों के भुगतान के बदले 10 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इतना ही नहीं, आरोपी ऑडिटर ने यह धमकी भी दी थी कि अगर रिश्वत नहीं दी गई, तो भविष्य में उसके और बिलों का भुगतान अटका दिया जाएगा। बाद में आरोपी अधिकारी ने 10 लाख की जगह 8 लाख रुपये की पहली किस्त लेने की सहमति दी और शिकायतकर्ता को यह रकम एक प्राइवेट डिफेंस सप्लायर के कर्मचारी को देने को कहा।
रंगे हाथों पकड़े गए आरोपी- CBI ने इस मामले में जाल बिछाया और जैसे ही आरोपी कर्मचारी शिकायतकर्ता से 8 लाख रुपये की रिश्वत ले रहा था, उसे मौके पर ही धर दबोचा। इसके बाद CBI ने आरोपी निजी कंपनी के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि आरोपी सरकारी अधिकारी रक्षा मंत्रालय के प्रधान नियंत्रक रक्षा लेखा (PCDA), रक्षा कार्यालय परिसर, नई दिल्ली में वरिष्ठ ऑडिटर के पद पर तैनात है, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
CBI मामले में यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। रक्षा क्षेत्र में इस तरह की रिश्वतखोरी से जुड़ा यह मामला बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इसमें सरकारी अधिकारी और प्राइवेट डिफेंस सप्लायर की मिलीभगत सामने आई है।