इंफाल। एकबार फिर मणिपुर में हिंसा के चलते तनाव की स्थिति है। हिंसा प्रभावित कांगपोकपी जिले में रविवार सुबह स्थिति शांत रही, लेकिन फिर भी लोगों के बीच तनाव देखने को मिला।
मणिपुर के कैथेलमनबी, कांगपोकपी जिले में शनिवार दोपहर कूकी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पों में एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य घायल हो गए। इसके अलावा, 27 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। स्थिति बेकाबू होने पर प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग लगा दी, पेट्रोल बम फेंके और पत्थरबाजी की। हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े।
कूकी प्रदर्शनकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस निर्देश का विरोध कर रहे थे, जिसमें राज्य में स्वतंत्र रूप से आवाजाही की अनुमति दी गई थी। गोली लगने से मारे गए 19 वर्षीय युवक की पहचान लालगौ सिंगसिट के रूप में हुई है। हालांकि, कूकी समाज के संगठनों का दावा है कि उनकी मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई, लेकिन पुलिस का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि “प्रदर्शनकारी की मौत गोली लगने से हुई, लेकिन यह जांच का विषय है कि वह गोली पुलिस ने चलाई थी या भारी हथियारों से लैस असामाजिक तत्वों ने।” शनिवार रात एक्स पर मणिपुर पुलिस ने पोस्ट किया, “सुरक्षा बलों ने अशांत और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान जबरदस्त संयम दिखाया और असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए न्यूनतम बल का उपयोग किया…”
कांगपोकपी जिले के कांगपोकपी, चम्फाई और साइटू-गमफाजोल उपखंडों में, विशेष रूप से एनएच-02 के आसपास, तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिससे लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है।
पिछले सप्ताह, गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में 8 मार्च से सड़कों पर लोगों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। यह निर्णय उन्होंने राज्य की सुरक्षा स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद लिया था।
बता दें मई 2023 में पूर्वोत्तर राज्य में भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर गहराई से विभाजित है। कुकी समुदाय पहाड़ियों में केंद्रित है, जबकि मैतेई समुदाय घाटी में रहता है। घाटी, जहां हवाई अड्डा, प्रमुख अस्पताल, स्कूल और कॉलेज स्थित हैं, कुकी समुदाय के लिए पूरी तरह से दुर्गम बनी हुई है और मैतेई भी पहाड़ियों की ओर नहीं जा पा रहे हैं। इस जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 250 लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। मणिपुर 9 फरवरी से राष्ट्रपति शासन के अधीन है, जब राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।