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अल-नीनो को लेकर WMO ने जारी किया नया अपडेट

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में दुनिया भर में भीषण गर्मी देखने को मिल सकती है। वॉर्निंग के मुताबिक एक जलवायु घटना जिसे ‘अल नीनो’ (El Nino) के नाम से जाना जाता है वह बढ़ेगी। इसके कारण दुनिया भर में गर्मी के नए रिकॉर्ड बन सकते हैं।

अल-नीनो (EL Nino) को लेकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने  नया अपडेट जारी किया है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बताया है कि अल-नीनो साल 2024 में भी गर्मी बढ़ाना जारी रखेगा। इसने यह भी बताया कि 2023-24 में अल नीनो रिकॉर्ड पर पांच सबसे बड़ी आपदाओं में से एक के रूप में चरम स्थिति पर  पर पहुंच गया है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अल-नीनो के प्रभाव स्वरूप मार्च और मई के बीच लगभग सभी क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान रहने का अनुमान जताया है। वैश्विक संगठन ने कहा कि अपनी कमजोर प्रवृत्ति के बावजूद आने वाले महीनों में वैश्विक जलवायु पर इसका  प्रभाव जारी रहेगा।

वैश्विक संगठन ने बताया कि वर्तमान में अल-नीनो के प्रभाव के कारण दुनिया भर में तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और मौसम की चरम स्थितियों को दर्ज किया गया। इसी के कारण साल 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल भी रहा। डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि जून 2023 के बाद से हर महीने ने एक नया मासिक तापमान रिकॉर्ड बना है। इसके चलते साल 2023 को अब तक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ते इस तापमान में अल नीनो ने भी बड़ा योगदान है।
डब्ल्यूएमओ ने अपने ताजा अपडेट में बताया है कि मार्च से लेकर मई के दौरान अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना है। वहीं, अप्रैल से जून के दौरान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) की 80 प्रतिशत संभावना है। वैश्विक संगठन ने यह भी कहा है कि साल के आखिर में ला नीना की स्थितियां बनने की संभावनाएं तो हैं, लेकिन इसमें अभी अनिश्चितता है।
भारत के संदर्भ में डब्ल्यूएमओ ने कहा कि जून से लेकर अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस साल भारत में मानसून की बारिश 2023 की तुलना में बेहतर होगी।

उन्होंने कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान साफ तौर से अल नीनो की स्थिति को दिखाता है, लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में समुद्र की सतह का तापमान पिछले 10 महीनों से लगातार और असामान्य रूप से उच्च रहा है। जनवरी 2024 में समुद्र की सतह का तापमान अब तक के रिकॉर्ड में सबसे अधिक था। यह चिंताजनक है। इससे पहले, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बीते नवंबर में कहा था कि अल-नीनो की स्थितियां अगले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम को प्रभावित नहीं करेंगी। अल नीओ की तीव्र स्थिति के बीच, भारत में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान औसत से कम संचयी वर्षा दर्ज की गई।

 क्या है अल नीनो? 
अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) का एक हिस्सा है, जो मौसम और समुद्र से संबंधित एक प्राकृतिक जलवायु घटना को बताता है। ईएनएसओ के दो चरण होते हैं- अल नीनो और ला नीना। अल नीनो का अर्थ स्पेनिश भाषा में ‘छोटा लड़का’ है और यह एक गर्म चरण है। वहीं, ला नीना का मतलब ‘छोटी लड़की’ होता है जो ठंड का चरण है।

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना अल-नीनो कहलाती है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है।

भारत में मानसून को कैसे प्रभावित करता है अल नीनो ?
वैश्विक परिदृश्य में देखें तो अल नीनो घटनाओं के दौरान, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य अफ्रीका जैसी जगहों पर शुष्क मौसम का अनुभव होता है। वहीं भारत में यह देखा गया है कि अल नीनो वर्षों के दौरान मानसून कमजोर हो जाता है।  अल नीनो मौसम की घटनाएं पिछले 70 वर्षों में 15 बार हुई हैं, जिनमें से भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश केवल छह बार हुई है। पिछले चार अल नीनो वर्षों में, भारत ने लगातार सूखे की स्थिति और वर्षा में भारी कमी का सामना किया है। मॉनसून की बारिश कमजोर, मध्यम या मजबूत अल नीनो घटनाओं के आधार पर भी अलग-अलग हो सकती है। 1997 में, एक मजबूत अल नीनो के कारण भारत में सामान्य वर्षा का 102 प्रतिशत रिकॉर्ड किया था।

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