उत्तरकाशी। चारधाम ऑल वेदर रोड के अंतर्गत उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए सभी विकल्पों पर कार्य तेजी से शुरू कर दिया गया है। यद्यपि, बचाव कार्य में लगी एजेंसियों की नजर में अभी भी मुख्य सुरंग से टेलीस्कोपिक विधि से बनाई जा रही एस्केप टनल ही सबसे सुरक्षित व सबसे तेजी से श्रमिकों तक पहुंचने का विकल्प है। इसलिए सभी विकल्पों में से सबसे अधिक फोकस इसी पर है। इसके लिए पाइप में फंसे ऑगर मशीन के टुकड़ों को कटर से काट कर निकालने का काम चल रहा है। इसके बाद यहां से मैनुअल ड्रिलिंग की जाएगी।
इस कार्य में सिद्धहस्त कार्मिक, जिन्हें रेट माइनर्स भी कहा जाता है, को बुलाया गया है। ये मैनुअल तरीके से इस सुरंग को आगे खोदने का काम करेंगे। सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए सरकार इस समय सात योजनाओं पर काम कर रही है। सुरंग के मुख्य द्वार की तरफ से की जा रही हारिजांटल ड्रिलिंग अब भी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। कारण यह कि यहां से फंसे हुए श्रमिकों की दूरी केवल 10 से 12 मीटर है। इस योजना के अंतर्गत रेट माइनर्स हाथों से औजारों का प्रयोग कर मलबा हटाते हुए सुरंग बनाने का कार्य करेंगे। जब वह एक से दो मीटर मिट्टी हटा लेंगे, फिर इसमें ऑगर मशीन को पाइप के भीतर डालने वाली मशीन से पीछे से दूसरे पाइप को अंदर धकेला जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि यह कार्य आसानी से होगा। यदि कहीं इसमें आगे लोहे की राड अथवा कोई अवरोध आता है तो फिर रेट माइनर्स प्लाज्मा कटर अथवा लेजर कटर से इन अवरोध को काट कर आगे का रास्ता बनाएंगे।
इस पर यूजेवीएनएल ने रविवार को काम शुरू कर दिया है। योजना के तहत सुरंग के ऊपर से 1.2 व्यास का पाइप ड्रिल कर श्रमिकों तक पहुंचाया जाना है। इसे 88 मीटर तक गहराई में खोदा जाएगा। इसके बाद इसमें पाइप के जरिये श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा। इस विकल्प पर भी बचाव एजेंसियां तेजी से काम कर रही हैं। टीएचडीसी बड़कोट छोर से माइक्रो सुरंग बना रहा है। इसमें 300 मीटर से अधिक लंबाई की माइक्रो सुरंग बनाई जानी है। इसमें ब्लास्टिंग की जा रही है और फिर ब्लास्टिंग से टूटे पत्थरों को साफ किया जा रहा है। सुरंग को सुरक्षित करने के बाद आगे बढ़ा जा रहा है। यहां अभी तक 10 मीटर से अधिक सुरंग बनाई जा चुकी है, लेकिन इस छोर से श्रमिकों तक पहुंचने में से 25 दिन से अधिक का समय लगेगा। इस विकल्प पर भी कार्य शुरू हो चुका है। इसके लिए बड़कोट छोर पर ड्रिलिंग करने का स्थान चिह्नित हो चुका है। अभी यहां तक मशीन पहुंचाने के लिए संपर्क मार्ग बनाया जा रहा है। इसके लिए सुरंग के दाएं छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग कर मुख्य सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचा जाएगा। यह कार्य आरवीएनएल को सौंपा गया है। इसके लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है। इसके लिए मुख्य सुरंग से 180 मीटर से क्षैतिज ड्रिलिंग करनी है। इसके लिए उपकरण पहुंच चुके हैं। इसका कंक्रीट बेस तैयार किया जा रहा है। यह ड्रिलिंग 28 नवंबर से करने का लक्ष्य रखा गया है। इस ड्रिलिंग के लिए 15 दिन का समय रखा गया है।
इस योजना के अंतर्गत सुरंग के दाएं छोर पर, जहां से मलबा शुरू हो रहा है, वहां से टनल बनाने का काम किया जाएगा। इसकी पूरी कार्ययोजना सेना के इंजीनियरिंग टीम के विशेषज्ञों ने तैयार की है। यहां भी मैनुअल तरीके से मलबे को हटाते हुए दो गुणा दो मीटर के फ्रेम लगाए जाएंगे। इसके लिए सेना के 20 से अधिक जवान पहले से ही यहां मौजूद हैं और अब इसके विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है। इनमें से कुछ पहुंच चुके हैं और कुछ अन्य पहुंचने वाले हैं। ड्रिफ्ट टनल के लिए अभी तक 15 से अधिक कंक्रीट के फ्रेम बनाए जा चुके हैं। अब इन्हें और सुरक्षित बनाने के लिए इनके ऊपर फेब्रिकेशन किया जाएगा। सेना ने इसके लिए एक नैनो जेसीबी सुरंग में पहुंचाई है, जिसकी सहायता से मलबा हटाने का कार्य करते हुए फ्रेम डाले जाएंगे। मुख्य द्वार के निकट यूजेवीएनएल द्वारा की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग के पास से ही आरवीएनएल द्वारा लाइफ लाइन पाइप करने के लिए ड्रिलिंग करने का विकल्प है। यद्यपि यह कार्य अभी शुरू नहीं किया गया है।