0 प्रियंका बोली दाई दीदी बहिनी मन ल जोहार !
रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भिलाई में आयोजित महिला समृद्धि सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर पहुंची। कार्यक्रम के पहले एयरपोर्ट पर कोरबा विधायक और प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रियंका गांधी का स्वागत किया।
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कांग्रेस का पारंपरिक गमछा भेंट कर प्रियंका गांधी का स्वागत किया। प्रियंका ने भी गमछा और अभिवादन स्वीकार करते हुए आत्मीयता से जयसिंह अग्रवाल से हाल-चाल पूछा। इसके बाद प्रियंका गांधी कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हो गई। इस दौरान एयरपोर्ट पर सीएम भूपेश बघेल सहित कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और कांग्रेस के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
महिला समृद्धि सम्मेलन को प्रियंका गांधी ने संबोधित करते हुए कहा कि दूर-दूर से दाई दीदी बहिनी मन ल जोहार ! उन्होंने बम्लेश्वरी मईया और छत्तीसगढ़ महतारी की जयकारे के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। प्रियंका गांधी ने कहा मैंने बचपन में पिट्ठुल, गिल्ली डंडा, और कंचे सभी खेल खेले हैं। आधुनिक भारत की नींव यहीं डली। ये आपकी मेहनत, आपका जज्बा और आपकी पहचान की मिसाल है। देश की उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता के सपने का प्रतीक है।
आज जो भिलाई है वो इस पूरे देश के लिए मिसाल है। पूरे देश भर से यहां लोग आते हैं। एकजुट होकर आप यहां रहते हैं। आधुनिक भारत की नींव यहीं पर डली। आपकी मेहनत और आपके जज्बे की यह मिसाल है। देश की उद्यमशीलता का यह प्रतीक है। यहां महिलाओं की इस मीटिंग में खड़े होकर और भी गौरव इसलिए होता है, क्योंकि मंच पर आने से पहले जब मैं यहां आई और एक-एक स्टाल देखा। मैंने आत्मनिर्भर महिलाएं देखी, उनमें आत्मविश्वास था। वे मुस्कुरा रही थीं कि सरकार ने उनके लिए कुछ किया। वे अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं। कई बहनों से मैंने यह पूछा कि आप क्या कर रही थीं इससे पहले। सबने कहा कि अभी यह अवसर मिला है। एक नौजवान डाक्टर हैं गांव गांव जाती हैं दवाओं का वितरण करती हैं। कुछ लड़कियां थी जो गोबर की सामग्री बनाती हैं स्वसहायता समूहों से जुड़ी हैं। समूह से जुड़ने से कितनी अपनी तरक्की हो सकती है। यह सब सुनकर मुझे महसूस हुआ कि छत्तीसगढ़ महतारी के हाथ में संस्कृति का कलश है औऱ दूसरे हाथ में तकनीक है। गर्व इसलिए होता है कि भिलाई को लें या यहां के कार्यों को देखें तो यह अलग तरह का काम है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ ऐसे महापुरुष थे जो आजादी के लिए लड़े। उन्हीं के उसूलों से यह देश लड़ा। मैं अपने पिताजी के साथ अमेठी के दौरे पर गई थी। वे खुद जीप चलाते गये। एक गांव में हम उतरे, कुछ लोगों से बातचीत करने लगे। एक महिला उन्हें जोरजोर से डांटने लगी। मुझे लगा कि मेरे पिता को कैसे डांट रही हैं। उसने कहा कि सड़क खराब है तुमने क्या किया है। यह उस समय की राजनीति है कि प्रधानमंत्री को तक एहसास होता था कि जनता के प्रति उसकी जिम्मेदारी है। मैंने अपने पिता से कहा कि बुरा नहीं लगा। मेरे पिता ने कहा कि नहीं उसका कर्तव्य था और मेरा भी कर्तव्य है कि हम सब अपने अपने काम करें।