जयपुर। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री श्री शान्ति धारीवाल ने कहा कि शहरी विकास का कोटा मॉडल भविष्य में देश-दुनिया में जाना जाएगा। आर्किटेक्ट का यह नमूना देशभर में अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि विकास के साथ पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण के साथ नदी के सौंदर्यकरण जैसे कार्य किए गए हैं। चम्बल नदी तीन राज्यों में बहती है तथा इसका पानी बिजली, पेयजल, सिंचाई के काम आता है। उन्होंने कहा कि 12 सितम्बर को 125 पंडित पहली बार चम्बल माता की 225 फ़ीट ऊंची संगमरमर की मूर्ति की पूजा करेंगे।
स्वायत्त शासन मंत्री श्री धारीवाल राजस्थान इन्टरनेशनल सेंटर में कोटा-ए-सिटी रिबोर्न कार्यक्रम के संबंध में मीडिया को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि कोटा मॉडल, नगरीय विकास में देश का अग्रणी मॉडल है। कोटा को रोड लाइट फ्री शहर किया गया है तथा इस शहर को नाइट ट्यूरिज्म के लिए भी विकसित किया जा रहा है । विकास के इन कार्यों से पूरा शहर अद्भुत दिखाई देगा, यहां नाइट ट्यूरिज के लिए ओपन बस की व्यवस्था भी करेंगे।
उन्होंने कहा कि देशभर के लाखों कोचिंग विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावक हमारे एम्बेसडर के रुप में इसकी खूबसूरती को देश भर में पहंुचायेंगे। चम्बल रिवरफ्रंट के जवाहर घाट पर विश्व का सबसे बड़ा गन मेटल का मुखौटा बनाया गया है। यहाँ 22 घाटों की अपनी अलग विशेषता है, दुनिया का सबसे बड़ा नन्दी भी यहां बना है।
श्री धारीवाल ने कहा कि एक बगीचे में 10 अवतारों की मूर्ति लगाई गई है तथा बुलन्द दरवाजे से ऊंचा दरवाजा बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राजपूताना घाट पर राजस्थान के 9 क्षेत्रों की वास्तुकला व संस्कृति को दर्शाया गया है। मुकूट महल में 80 फ़ीट ऊँची छत है, यहाँ पर सिलिकॉन वैली भी है। ब्रह्मा घाट पर विश्व की सबसे बड़ी घण्टी बनाई गई है जिसकी 8 किमी दूर तक आवाज जाएगी तथा एलईडी गार्डन देश का पहला गार्डन है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक घाट पर पुस्तक, प्रसिद्ध लेखकों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है। एक घाट पर शीश महल, मीनार, फाउंटेन भी है।
उन्होंने बताया कि कोटा में 6 किमी लंबा रिवरफ्रंट बनाया गया है, जिस पर 1400 करोड़ रुपये की लागत आई हैै। 75 एकड़ में सिटी पार्क बना है, जो कि वर्ड क्लास पार्क है तथा आने वाले समय इसकी केस स्टडी करने विश्वभर के लोग आएंगे।
श्री धारीवाल ने कहा कि इस विकास के लिए आर्किटेक्ट, सचिव यूआईटी, इंजीनियर, जिला प्रशासन की टीम ने लगातार कार्य किया है। कोरोना के समय 10 हजार मजदूरों ने काम किया, उन्हें सभी सुविधाएं दी गई।