जयपुर। जयपुर के पारिवारिक न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि आर्थिक रूप से मजबूत पत्नी पति से भरण-पोषण की हकदार नहीं है। न्यायाधीश अरूण कुमार दुबे ने पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। न्यायालय ने माना कि पत्नी के पास जीवनयापन करने के लिए पर्याप्त संसाधन है। ऐसे में भरण पोषण पाने का हकदार नहीं माना जा सकता है।
दरअसल,जयपुर की एक महिला ने पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर कहा कि मेरे पति की प्रति माह लाखों रूपये की आय है। पति ने पिछले दिनों मुंबई और जयपुर में तीन लग्जरी फ्लैट्स बेचे हैं,जिनका काफी पैसा मिला है। पति ने राम मंदिर निर्माण में पांच लाख रूपये का चंदा दिया है। लाखों रूपये लोगों को उधार भी दे रखे हैं। ऐसे में पति से उसे प्रति माह पांच लाख रूपये का भरण पोषण दिलवाया जाए।
पति के वकील डी.एस.शेखावत ने बताया कि जयपुर के वैशाली नगर में रहने वाले पति-पत्नी के बीच साल, 2017 से पारिवारिक विवाद चल रहा था। इसके बाद दोनों ने साल, 2020 में तलाक के लिए आवेदन किया था। पत्नी ने साल, 2021 में भरण पोषण दिलाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने पत्नी को तो भरण पोषण का हकदार नहीं माना,लेकिन दोनों नाबालिग बच्चों के भरण पोषण के लिए पति को निर्देश दिए कि वह प्रति माह बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्चाें के लिए कुल पचास हजार रूपये देगा। शेखावत ने बताया कि इस मामले में पत्नी आर्थिक रूप से संपन्न है। इसके दस्तावेज न्यायालय में पेश किए गए।