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लिव इन कपल के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- पोर्टल में करना होगा रजिस्ट्रेशन

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लिव इन रिलेशन के मामले में निर्देश देते हुए कहा कि लिव इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल शुरू करें। कई लिव इन जोड़ों के मामलों की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि लिव-इन जोड़े को अपने रिश्ते को स्वीकार नहीं किए जाने के कारण उन्हें अपने परिवारों तथा समाज के अन्य लोगों से खतरा है।

सुरक्षा की मांग करने वाले कई लिव-इन कपल की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए,न्यायमूर्ति अनोप कुमार ढांड ने कहा कि जब तक ऐसा कोई कानून नहीं बन जाता, तब तक लिव-इन-रिलेशनशिप को एक वेब पोर्टल पर रजिस्टर किया जाना चाहिए।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा

कई कपल ’लिव-इन’ रिश्ते में रह रहे हैं और अपने रिश्ते को स्वीकार न करने के कारण अपने परिवार और समाज से खतरे का सामना कर रहे हैं। इसलिए, वे अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर करके अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। पीठ ने कहा, अदालतें ऐसी याचिकाओं से भर गई हैं।

महिला को नहीं मिलता पत्नी का दर्जा

कोर्ट ने कहा, लिव-इन रिलेशनशिप का विचार देखने में अच्छा लग सकता है, लेकिन रियल लाइफ में इससे पैदा होने वाली समस्याएं काफी चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे रिश्ते में महिला की स्थिति पत्नी की नहीं होती है और उसमें सामाजिक स्वीकृति या पवित्रता का अभाव होता है।’ पीठ ने कहा कि लिव-इन-रिलेशनशिप समझौते को न्यायाधिकरण की तरफ से रजिस्टर्ड किया जाना आवश्यक है, जो आवश्यक है।

कोर्ट ने क्या कहा?

इसके अलावा, पीठ ने यह भी कहा है कि राज्य के प्रत्येक जिले में ऐसे लिव-इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन के मामले को देखने के लिए एक समिति गठित की जाए।

पीठ ने आगे निर्देश दिया कि आदेश की एक कॉपी मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, कानून और न्याय विभाग, साथ ही सचिव, न्याय और सामाजिक कल्याण विभाग, नई दिल्ली को मामले को देखने और कार्रवाई करने के लिए भेजी जाए।

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