जयपुर। झुंझुनू में डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए गए 25 वर्षीय युवक को दाह संस्कार से कुछ क्षण पहले होश आ गया। शेल्टर होम में बेहोश होने के बाद युवक को झुंझुनू के बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद भी जब उस पर कोई असर नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और शव को दो घंटे तक मोर्चरी में रखवाया।
अधिकारियों ने बताया कि मूक-बधिर रोहिताश कुमार नामक व्यक्ति को वापस जिला अस्पताल ले जाया गया, जिसका कोई परिवार नहीं है। वह आश्रय गृह में रहता था। उसे अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में उपचार दिया जा रहा था और बाद में उसे जयपुर रेफर कर दिया गया, लेकिन रास्ते में ही उसे मृत घोषित कर दिया गया।
झुंझुनू के जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने कथित चिकित्सा लापरवाही का संज्ञान लेते हुए तीन डॉक्टरों डॉ. योगेश जाखड़, डॉ. नवनीत मील और पीएमओ डॉ. संदीप पचार को निलंबित कर दिया गया। इसमें सवाल ये है कि पंचनामा तैयार होने के बाद भी कोई जिंदा कैसे हुआ। मीणा ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक समिति भी गठित की गई है और चिकित्सा विभाग के सचिव को सूचित कर दिया गया है।
दो घंटे तक मोर्चरी में रखवाया
पुलिस के अनुसार, गुरुवार को शेल्टर होम में बेहोश होने के बाद कुमार को झुंझुनू के बीडीके अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद भी जब कुमार पर कोई असर नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने उसे दोपहर 2 बजे मृत घोषित कर दिया और शव को दो घंटे तक मोर्चरी में रखवाया।
चिता पर रखते ही चलने लगीं सांसें
पुलिस ने पंचनामा तैयार कर शव को श्मशान घाट पहुंचाया। हालांकि, जैसे ही शव को चिता पर रखा गया, कुमार की अचानक सांसें चलने लगीं और वो उठ खड़ा हुआ। उन्होंने बताया कि तुरंत एंबुलेंस बुलाई गई और उसे वापस अस्पताल ले जाया गया। इस बीच राजस्व अधिकारी महेंद्र मुंड, सामाजिक न्याय विभाग के उपनिदेशक पवन पूनिया भी अस्पताल पहुंचे।
पोस्टमॉर्टम पर उठ रहे सवाल
अब मामले में सवाल उठ रहा है कि रोहिताश कुमार का पोस्टमॉर्टम हुआ भी या नहीं। ये भी सवाल है कि क्या रोहिताश को बिना पोस्टमॉर्टम के ही मृत घोषित किया गया। यह भी कहा जा रहा है कि बिना पोस्टमॉर्टम के ही पंचनामा तैयार कर उसे शमशान भेज दिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह फेफड़े फेल और सीओपीडी और टीबी की बीमारी को बताया गया है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर है।