Offering water to Shivling – भारत की ज़्यादातर परम्पराओं और प्रथाओं के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य मौज़ूद है, जिस की वजह से ये परम्पराएँ एवं प्रथाएँ सदियों से चली आ रहीं हैं। शिवलिंग पर दूध चढ़ाना भी ऐसे ही एक वैज्ञानिक कारण से जुड़ा हुआ है। आइये विस्तार से जानते है
शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चढ़ाने का महत्व केवल धर्म में ही नहीं, अपितु विज्ञान में भी है. धर्म के अनुसार, शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चढ़ाने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं, जातक का चंद्रमा मजबूत होता है और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. भगवन शिव ही एक मात्र ऐसे देव हैं जो विश्व कल्याण के लिए हलाहल भी पी जाते हैं. भगवान शिव संसार की सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को खींचकर अपने में समाहित कर लेते हैं एवं दुनिया की रक्षा करते हैं. वहीं, अब तमाम वैज्ञानिक स्टडी में भी ये स्पष्ट हो चुका है कि शिवलिंग का जो आकार होता है, वह आसपास की ऊर्जा को अपने अंदर खींचकर उसे नियंत्रित करने में मदद करता है. अब तो विज्ञान भी शिवलिंग को ऊर्जा का स्रोत मानता है।
ये बात इससे भी साबित होती है कि भाभा एटॉमिक रिएक्टर (BARC) की डिजाइन भी शिवलिंग की तरह है, वहीं स्विट्जरलैंड में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी फिजिक्स लैब ‘यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च’ (CERN) के बाहर भगवान शिव की मूर्ति लगी है. हालांकि, हम इन सभी बातों को संयोग मात्र बोल सकते हैं, लेकिन एक ही बात की तरफ बार-बार हो रहे इशारों को नजरअंदाज तो नहीं कर सकते है.
अब आप भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप ही उठा लें, आप देखकर हैरान हो जायेंगे। आप पाएंगे कि भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि भारत में स्थापित ज्योतिर्लिंग कुछ और नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शीतल और शांत रहें।
Offering water to Shivling
▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी को सोखने वाले हैं।
▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।
▪️ ध्यान दें कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना विज्ञान छिपा हुआ है।
एक प्रमाण और जानिए, विज्ञान के अनुसार, सूर्य पर जल चढ़ाते समय जल की धारा से होकर शरीर पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें कई तरह की शारीरिक बीमारियों को खत्म करती हैं, ठीक उसी तरह शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते समय शिवलिंग से निकलती आणविक विकरण ऊर्जा शारीरिक ताप को नष्ट कर देती है।
इस लिए शिवलिंग पर जल एवं दूध चढ़ाना केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उचित है।
जानिये शिवलिंग जल अर्पित करने का सही नियम
किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल :- शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुंह करके जल न चढ़ाएं. पूर्व दिशा को भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिशा में मुख करने से शिवजी के द्वार में बाधा उत्पन्न होती है और वह नाराज भी हो सकते हैं. ऐसे में हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवजी को जल अर्पित करें. ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से भगवान् शिव और माता पार्वती दोनों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हमेसा बैठकर जल अर्पित करें :- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय हमेशा बैठकर जल चढ़ाएं. रुद्राभिषेक करते समय कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए. मान्यता के अनुसार खड़े होकर महादेव को जल चढ़ाने से इसका पुण्य फल भी नहीं मिलता है.
कौन से पात्र से अर्पित करें जल :- शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय सबसे ज्यादा ध्यान में रखने वाली बात ये है कि आप किस पात्र से जल अर्पित करें। जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं।
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