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UP : यहां नहीं किया जाता ‘लंकेश’ का दहन, होती है राम-रावण की पूजा, सावन में श्रद्धालुओं का लगता है तांता

आज हम आपको एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह अनोखा शिव मंदिर उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में स्थित है, ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव का उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है। यदि आप ग्रेटर नोएडा में है या वहां जाने वाले हैं तो इस सावन के महीने में बिसरख गांव जरूर जाएं। ऐसी मान्यता है कि ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में लंकापति रावण का जन्म हुआ था। रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में एक अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना करवाई थी।

यह शिवलिंग आज भी वहीं विराजमान है। बता दें कि इस गांव में भगवान राम और रावण की साथ में पूजा करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, वहीं इस गांव में रामलीला का आयोजन कभी नहीं किया जाता है। साथ ही इस गांव में रावण का पुतला दहन भी नहीं किया जाता है।

ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में एक भव्य शिव मंदिर स्थित है। जहां पर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में दर्शन-पूजन करने आसपास के इलाकों के साथ-साथ दूर-दूर से भक्त आते हैं। कहा जाता है कि शिव मंदिर में जो अष्टभुजी शिवलिंग विराजमान हैं। जिसकी स्थापना रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने कराई थी। इस मंदिर की शिवलिंग की गहराई आज तक रहस्य बताई जाती है। कहा जाता है कि बहुत पहले के समय में यहां पर खुदाई भी करवाई गई थी, लेकिन कोई छोर नहीं मिलने पर खुदाई को बंद करवा दिया गया था।

माना जाता है कि रावण भी इसी गांव के अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा अर्चना करने आया करता था। इसके बाद  रावण की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव  ने रावण को इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दे दिया था। इस मंदिर के  ट्रस्ट के अनुसार, गांव में आज भी खुदाई होने पर कभी-कभी शिवलिंग निकल जाते हैं। इसी वजह से  सालों साल गांव में पूजा- अर्चना करने आने भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती, इस मंदिर की भव्यता और दिव्यता भी बेमिसाल है।

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