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बीसीसीआई विदेशी दौरों पर सख्त नियम लागू करने कर रहा विचार, कमेंटेटर हर्षा भोगले ने रखी नई मांग, जानें क्या कहा…

मुंबई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद भारतीय क्रिकेट में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। हर रोज कई अलग-अलग रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं। अब दिग्गज कमेंटेटर हर्षा भोगले ने बीसीसीआई के सामने नई मांग रखी है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बोर्ड को सलाह दिया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन के बाद विदेशी दौरों पर सख्त नियम लागू कर सकता है।  एक रिपोर्ट के मुताबिक BCCI विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों के अपने परिवार के साथ समय बिताने को सीमित करेगा और 45 दिन के दौरे के दौरान परिवार के सदस्य 14 दिन से ज्यादा समय तक उनके साथ नहीं रह सकेंगे। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि भारतीय खिलाड़ियों को अभ्यास और मैचों के दौरान यात्रा के लिए अलग-अलग ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने से भी रोक दिया जाएगा। पूरी टीम को एक ही बस में यात्रा करनी पड़ेगी।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, मुख्य कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर को पिछले शनिवार को मुंबई में बीसीसीआई अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस बारे में सूचित किया गया था। हालांकि, क्या इस तरह के नियम से भारतीय क्रिकेट की हालत सुधरेगी? यह तो समय ही बताएगा।
अब अनुभवी कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इस पर अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने सुझाव दिया है कि बीसीसीआई को इसके बजाय खिलाड़ियों को व्यक्तिगत पीआर (पब्लिक रिलेशन) एजेंसियां रखने से प्रतिबंधित करना चाहिए। भोगले ने कहा, ‘बीसीसीआई भारतीय टीम के लिए जो बदलाव सुझा रहा है फिलहाल मैं उस बारे में पढ़ रहा था। मुझे नहीं पता कि इस पर कितना विश्वास करना है, लेकिन अगर मुझे सख्ती से लागू होने के लिए एक नियम बताना पड़ा, तो यह टीम के सदस्यों को पीआर एजेंसियों से प्रतिबंधित करना होगा।’

पीआर एजेंसियों पर बैन की आवश्यकता-  पीआर एजेंसियों को लेकर कई बार यह आरोप लगाए गए हैं कि वे खिलाड़ियों के बारे में झूठी खबरें फैलाती हैं और सेलिब्रिटीज की मदद से किसी खास क्रिकेटर को मशहूर करने का प्रयास करती हैं। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे प्रमुख क्रिकेटर्स प्रसिद्ध पीआर एजेंसियों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं, जो अपने क्लाइंट्स की छवि को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।

हरशा भोगले का मानना ​​है कि खिलाड़ियों के लिए एक ऐसी नीति होनी चाहिए, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखे। पीआर एजेंसियों का कद बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर इसका असर भी पड़ता है, जिससे उनका ध्यान खेल पर कम और छवि बनाने पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है।

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