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Wimbledon में कैसा रहा है भारत का प्रदर्शन, जानें ग्रास कोर्ट मे कितना है दबदबा… वर्ष 1909 में मिली थी पहली जीत

इंग्लैंड में विंबलडन की शुरुआत हो चुकी है। इन दिनों विंबलडन लगातार अलग अलग कारणों से सुर्खियों में भी बना हुआ है। कभी बारिश के कारण यहां मैच में बाधा पहुंचती है तो कभी पर्यावरण कार्यकर्ताओं को मैदान पर नारंगी रंग के कागज के टुकड़े फेंककर मैच तो अवरुद्ध करने की कोशिश करते है।

हालांकि इन सभी के इतर विंबलडन में भारतीय खिलाड़ियों का भी खासा योगदान रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने यहां कई उल्लेखनीय उपलब्धियां और विरासत पाई है। दशकों से लगातार मेहनत करते हुए भारतीय एथलीटों ने खेल पर एक अमिट छाप छोड़ी है। खिलाड़ियों ने देश और दुनिया के फैंस का दिल अपने कौशल और दृढ़ता जीता है।

भारत में टेनिस के इतिहास की बात करें तो रामनाथन कृष्णन और विजय अमृतराज जैसे दिग्गजों की शानदार सफलताओं के साथ भारतीय टेनिस की शुरुआत हुई है। इस गौरवशाली इतिहास को आज  रोहन बोपन्ना और सुमित नागल जैसे खिलाड़ी ऊंचाइयों तक ले जा रहे है। भारतीय खिलाड़ियों ने अपने कौशल के दम पर इस शानदार लॉन को पार किया है और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया है। हर बीतते वर्ष के साथ खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है जिससे साफ है कि खेल में खिलाड़ियों ने सुधार किया है। इससे ये भी पता चलता है कि खेल उत्कृष्टता के सार का उदाहरण देते हुए खिलाड़ियों ने भारत के लिए जुनून के साथ खेला है। विंबलडन में भारत के कई दिलचस्प रिकॉर्ड हैं। विंबलडन के इतिहास में भारत के लिए पहली बार जो भी उपलब्धियां मिली उनपर एक नजर डालते हैं।

इस वर्ष में विंबलडन में हुआ था भारत का पदार्पण
सरदार निहाल सिंह 1908 में विंबलडन में भाग लेने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे। अपने पदार्पण करने वाले साल में ही वो हार गए मगर अगले वर्ष उन्होंने इस टूर्नामेंट में फिर बेहतरीन वापसी की और भारत को अपनी पहली विंबलडन जीत दिलवाई थी। वहीं अगर महिला वर्ग की बात करें तो वर्ष 1929 में जेनी सैंडिसन भारत की तरफ से पहला मुकाबला टूर्नामेंट में खेला था।

भारत का पहला मैच किसने और कब जीता?
सरदार निहाल सिंह ने टेनिस ग्रास कोर्ट में भारत के लिए पहली बार जीत हासिल की। उन्होंने 1909 में प्लेट टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में बेल्जियम के लुइस ट्रैसेनस्टर के खिलाफ 6-2, 6-4 से जीत हासिल की। मुख्य ड्रॉ में भारत की पहली जीत 1910 में हसन-अली फ़िज़ी की सफलता के साथ मिली थी। महिला वर्ग में जेनी सैंडिसन ने भारत को पहली जीत दिलाई थी। उन्होंने 1929 में महिला युगल में यह उपलब्धि हासिल की। महिला एकल में, भारत की पहली जीत 1934 में लीला रो दयाल ने ग्लेडिस साउथवेल को हरा कर हासिल की थी।

फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय कौन हैं?
विंबलडन के फाइनल मुकाबले में पहुंचने वाले पहले भारतीय का नाम लुईस डीन है। उन्होंने वर्ष 1923 में ग्रेट ब्रिटेन के डोरोथी शेफर्ड-बैरन के साथ मिश्रित युगल में मील का पत्थर हासिल किया। इस मुकाबले में लुईस और डोरोथी को यूएस-ब्रिटेन जोड़ी एलिजाबेथ रयान और रैंडोल्फ लिसेट ने 4-6, 5-7 से हराया।

इस खिलाड़ी ने जीता था पहला टाइटल
विंबलडन टाइटल जीतने के लिए भारत को लंबा इंतजार करना पड़ा था। वर्ष 1999 में विंबलडन चैंपियनशिप में लिएंडन पेस और महेश भूपति ने पहली बार पुरुष डबल विंबलडन टाइटल जीता था। ये ऑस्ट्रेलियन ओपन और फ्रेंच ओपन के फाइनल में भी पहुंचे थे, जहां फ्रेंच ओपन में दोनों ने जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2015 में सानिया मिर्जा पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं जिन्होंने एकल विंबलडन खिताब जीता। उन्होंने और स्विस दिग्गज मार्टिना हिंगिस ने मिलकर एकातेरिना मकारोवा/एलेना वेस्नीना को 5-7, 7-6(7-4), 7-5 से हराकर महिला युगल खिताब जीता। सानिया मिर्जा आज तक विंबलडन खिताब जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला बनी हुई हैं।

सर्वाधिक खिताब जीतने वाला भारतीय कौन है?
किसी भारतीय टेनिस स्टार द्वारा सर्वाधिक विंबलडन खिताब जीतने का रिकॉर्ड लिएंडर पेस के नाम है। बता दें कि लिएंडक पेस ने रिकॉर्ड पांच बार विंबलडन खिताब जीते हैं, जिनमें से चार मिश्रित युगल में हैं। चार मिश्रित युगल विंबलडन खिताब जितकर वो सर्वाधित खिताब हासिल करने वाले खिलाड़ी है। उनके साथ ये रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के ओवेन डेविडसन भी साझा करते है।

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