भारतीय स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या को लगता है कि एशिया कप 2023 सिर्फ भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबला नहीं है। बल्कि इस मैच से भारतीय टीम के खिलाड़ियों के जज्बे और व्यक्तित्व की परीक्षा होगी।
भारत एशिया कप में अपने अभियान की शुरुआत 2 सितंबर को पालेकल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ करेगा। दोनों टीमें अगर फाइनल में पहुंचती हैं तो दोनों के बीच तीन मुकाबले देखने को मिल सकते हैं।
वहीं टूर्नामेंट से पहले पंड्या ने भारत-पाक मुकाबले की प्रतिद्वंद्विता और इसमें जुड़ी भावनाओं के बारे में बात की। पंड्या ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा, ‘‘यह ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें मैंने देखा है कि इससे आपके जज्बे और व्यक्तित्व की परख कैसे होती है। और साथ ही यह दिखाता है कि आप पानी में कितनी गहराई तक तैर सकते हो (आप कितने दबाव को झेल सकते हो)। इसलिये मुझे ये सभी चीजें रोमांचित करती हैं। ’’
साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘काफी भावनायें खेल प्रेमियों से जुड़ी होती हैं। हमारे लिये एक अच्छी टीम से खेलना महत्वपूर्ण है, ऐसी बहुत अच्छी टीम के खिलाफ मुकाबला खेलना जिसने हाल के समय में काफी अच्छा खेल दिखाया हो। ’’
पंड्या ने साथ ही जिक्र किया कि पाकिस्तान जैसी टीम के खिलाफ मुकाबले भावनाओं में बहने के नहीं बल्कि सोच समझकर फैसले करने के बारे में होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम बाहर की भावनाओं को बाहर ही रखने की कोशिश करते हैं और अच्छा क्रिकेट खेलने पर ध्यान लगाते हैं। हम इसके बारे में ज्यादा भावनात्मक नहीं हो सकते क्योंकि फिर कुछ फैसले लापरवाही भरे हो सकते हैं जिसमें मैं विश्वास नहीं करता। लेकिन साथ ही यह बड़ा टूर्नामेंट है।’’
इस बार एशिया कप वनडे प्रारूप में खेला जा रहा है। साथ ही ये टूर्नामेंट भारत में अक्टूबर-नवंबर में खेले जाने वाले आईसीसी विश्व कप के लिए ‘ड्रेस रिहर्सल’ की तरह है। इस प्रारूप के बारे में बात करते हुए पंड्या ने कहा कि परिस्थितियों का अंदाजा लगाने के साथ रणनीतिक मानसिकता इसमें अहम भूमिका निभाती है।
भारतीय ऑलराउंडर ने कहा, ‘‘यह प्रारूप ऐसा है कि आपके पास सोचने के लिए थोड़ा ज्यादा समय रहता है। यह ऐसा प्रारूप है जिसमें आप ढल सकते हो, आपको परिस्थितियों का आदी होना होता है क्योंकि खेल 50 ओवर तक चलता है और अच्छी टीम के खिलाफ खेलने के लिए आपको शत प्रतिशत बढ़िया क्रिकेट खेलना होता है। ’’
पंड्या ने कहा, ‘‘बतौर क्रिकेटर मेरे लिए मेरी मानसिकता सिर्फ इस तथ्य से बदलती है कि मैं वनडे प्रारूप की मांग के अनुसार तैयारी कैसे शुरु करता हूं और अगर तैयारी ठीक होती है तो मैं मैदान में जाकर हालात को पढ़ लूंगा। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘आधे समय परिस्थितियां खुद ही बता देती हैं इसलिये आपको कोई ‘रॉकेट साइंस’ की जरूरत नहीं है। आप सिर्फ मैच देखो और समझने की कोशिश करो कि क्या हो रहा है और समझदारी भरा फैसला करो।