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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त, जानें मंदिर से जुड़ी कुछ और खास बातें…

अयोध्या। वर्ष 2024 सभी के लिए बहुत खास और ऐतिहासिक होने वाला है क्योंकि अयोध्या में बने राम मंदिर का भव्य उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को होने जा रहा है। इस दिन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाएगा।

हिंदू धर्म में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बहुत बड़ा महत्व है। वहीं धर्म गुरुओं की मानें तो मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बिना उनका पूजन अधूरा होता है। राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन को पर्व की तरह मनाने के लिए सभी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के उद्घाटन को लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ती जा रही है। ऐसे में सभी के मन में मंदिर और कार्यक्रम को लेकर बहुत से सवाल हैं जैसे, मंदिर में आरती का समय क्या होगा? मंदिर का द्वार कैसा होगा? इत्यादि।

सूत्रों के अनुसार अयोध्या राम मंदिर में आरती तीन टाइम की जाएगी, जिसका समय सुबह 6:30 बजे, दोपहर 12:00 बजे और शाम 7:30 बजे होगा।

रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। यह मूर्ति पांच साल के बालस्वरूप में है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त निकाला गया है। ये समय 22 जनवरी 2024 को 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा।

मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। यह मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं।

राम मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा की ओर है, सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर प्रवेश होगा।

रामलला की मूर्ति का सूर्य तिलक रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य का प्रकाश जब रामलला के माथे पर पड़ेगा, उसे ही सूर्य तिलक कहा जाएगा।

पुरानी मूर्ति जो फिलहाल छोटे मंदिर में स्थापित है, उसकी भी नई मूर्ति के साथ गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

राम मंदिर परिसर के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, जिनमें सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित होंगे। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर, जबकि दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है।

दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था होगी।

राम मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारत की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है। हालांकि, इसका निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है।

परिसर में स्नान क्षेत्र, वॉशरूम, वॉशबेसिन, खुले नल आदि के साथ एक अलग ब्लॉक भी होगा।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये खबर लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए Today Studio उत्तरदायी नहीं है