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उत्तर प्रदेश

पावर ऑफ अटॉर्नी के नियम में बदलाव, अब संपत्ति बेचने पर खर्च करनी होगी इतनी राशि

लखनऊ। केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में पावर ऑफ अटार्नी डीड (मुख्तारनामा विलेख) के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का रास्ता साफ हो गया है। अब पावर ऑफ अटॉर्नी डीड के जरिए संपत्ति बेचने के नियम बदल गए हैं। अब सिर्फ परिवार के सदस्यों के मामले में ही सेल डीड की तरह स्टांप ड्यूटी देने से छूट मिलेगी। ऐसे में दान विलेख की तरह मात्र पांच हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी लगेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पावर ऑफ अटॉर्नी की मौजूदा व्यवस्था में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई।

पावर ऑफ अटॉर्नी पर लगी रोक भी हटेगी

संशोधन संबंधी अधिसूचना एक-दो दिन में जारी होने के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पावर ऑफ अटॉर्नी पर लगी रोक भी हट जाएगी। स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर स्टांप ड्यूटी की चोरी की जा रही थी। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही पिछले पांच वर्षों के दौरान एक लाख से अधिक पावर ऑफ अटॉर्नी हुईं जिसमें से ज्यादातर में अचल संपत्ति को बेचने का अधिकार दिया गया।

अभी ये है नियम

गौर करने की बात यह है कि विक्रय विलेख के जरिए संपत्ति बेचने पर जहां सर्किल रेट के अनुसार संपत्ति के मूल्य पर पांच प्रतिशत (नगरों में कुल सात प्रतिशत) की दर से स्टांप ड्यूटी लगती है वहीं पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से अचल संपत्ति को बेचने का अधिकार देने पर अभी अधिकतम 100 रुपये ही स्टांप शुल्क देना होता है।

इस वजह से अटका था संशोधन का काम

ऐसे में स्टांप राजस्व के भारी-भरकम नुकसान पर अंकुश लगाने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी की मौजूदा व्यवस्था को संशोधित करने का निर्णय चार माह पहले छह जून को योगी सरकार ने किया था। कैबिनेट द्वारा निर्णय करने के बावजूद संशोधन इसलिए अब तक लागू नहीं हो सका, क्योंकि यह संशोधन केंद्रीय अधिनियम में था जिसके लिए केंद्र सरकार से सहमति नहीं ली गई थी।

योगी सरकार ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

अब केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद मंगलवार को योगी सरकार ने संशोधन संबंधी प्रस्ताव को एक बार फिर मंजूरी दे दी है। जायसवाल ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से अचल संपत्ति को बेचने का अधिकार दिए जाने की दशा में बाजार मूल्य के अनुसार सेल डीड की तरह पूरी स्टांप ड्यूटी देनी होगी।

लगेगी इतने हजार की स्टांप ड्यूटी

मंत्री के अनुसार परिवार के सदस्यों (पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्र वधू, पुत्री, दामाद, भाई, बहन, पौत्र-पौत्री (पुत्र के पुत्र-पुत्री) व नाती-नातिन (पुत्री के पुत्र-पुत्री)) के मामले में पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अचल संपत्ति बेचने का अधिकार देने पर पांच हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी लगेगी।
जायसवाल ने स्पष्ट किया कि यदि पावर आफ अटार्नी में संपत्ति को बेचने का अधिकार देने जैसी बात नहीं होगी तो पहले की तरह अधिकतम 100 रुपये ही स्टांप ड्यूटी लगेगी। मंत्री का मानना है कि पावर ऑफ अटॉर्नी की संशोधित व्यवस्था से स्टांप राजस्व की चोरी पर अंकुश लगेगा। इससे सालाना एक हजार करोड़ रुपये का स्टांप राजस्व बढ़ने का अनुमान है।

पावर ऑफ अटॉर्नी के दुरुपयोग का उठा था मुद्दा

जायसवाल ने बताया कि पावर ऑफ अटॉर्नी का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर स्टांप राजस्व की चोरी का मामला कुछ माह पहले प्रकाश में आने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पावर ऑफ अटॉर्नी के संबंधित मामलों पर रोक लगा दी गई थी। अब एक-दो दिन में संशोधित व्यवस्था की अधिसूचना जारी होने के साथ ही पावर ऑफ अटॉर्नी पर लगी रोक को भी हटा लिया जाएगा।

इन राज्यों में पहले से ही है व्यवस्था

मंत्री के मुताबिक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में पहले से ही पावर ऑफ अटॉर्नी पर संबंधित अचल संपत्ति के बाजार मूल्य के अनुसार विक्रय विलेख की भांति स्टांप शुल्क वसूलने की व्यवस्था है। दिल्ली में अचल संपत्ति के बाजार मूल्य पर तीन प्रतिशत स्टांप शुल्क लेने की व्यवस्था लागू है।

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