बरेली। कमरे में बाहर से ताला, अंदर पांच लोग जल रहे थे, मगर हैरत की बात यह कि कमरे का अधिकांश सामान सुरक्षित था। पूरे कमरे में ब्लैकनिंग के निशान भी अधिक नहीं थे, जबकि आग लगने पर लपटे उठती और काफी सामान भी जल सकता था।
बंद कमरे में आग लगने से अजय उनकी पत्नी अनीता और तीनों बच्चों की जिंदा जलकर मौत हो गई। जिला प्रशासन ने पैनल में पोस्टमार्टम कराया, जिसमें डा. आशुतोष पारासरी और डा. अर्जुन सिंह शामिल थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतकों के गले और फेफड़ों में कार्बन के कुछ अंश मिले हैं। चिकित्सकों के अनुसार पांचों लोगों की मौत आग से जलने की वजह से ही हुई है।
कमरे में लटका हुआ पंखा भी पूरी तरह से सुरक्षित है। कपड़ों की अलमीरा, ड्रेसिंग टेबल, फ्रिज, इन्वर्टर आदि सामान को भी अधिक नुकसान नहीं हुआ। पुलिस का कहना हैं कि सोफे पर अजय, एक फोल्डिंग पर छोटा बेटा, बेटी और मां और दूसरे फोल्डिंग पर बड़े बेटे का शव मिला है।
पांच मौतों पर सवाल
सवाल यह उठता है कि सोफे की फोम जलती तो उसका धुंआ ब्लैकनिंग के लिए काफी होता, मगर ऐसा नहीं मिला। इससे इन पांचों लोगों की मौत पर कई सवालिया निशान लग रहे हैं। फरीदपुर में अजय और उसके परिवार की मौत कैसे हुई? इस सवाल का जवाब खोजने में पुलिस पूरी तरह से उलझ गई है। हालांकि, स्वजन बार-बार हत्या का आरोप लगा रहे हैं, मगर पुलिस अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रही है।
कुछ ये था घटनास्थल का हाल
घटनास्थल की बात की जाए तो जिस कमरे से पांचों लोगों के शव बरामद हुए हैं। वह करीब आठ फिट चौड़ा और करीब 10 फिट लंबा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी चंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि कमरे में फ्रिज, इन्वर्टर, ड्रेसिंग टेबल, अलमीरा, सिंगल सोफा आदि चीजें मिली हैं, मगर किसी भी चीज को अधिक क्षति नहीं हुई, जिस तरह से किसी भी अग्निकांड के बाद सामान जलता है। उस तरह से यहां पर नहीं जला है। कमरे के लिंटर, पंखे आदि पर भी ब्लैकनिंग आदि के कोई खास निशान नहीं मिले हैं। बहुत कम मात्रा में ब्लैकनिंग हैं।
कमरे में सिर्फ ब्लोअर मिला, लोहे की प्लेट से हीटर की आशंका
सीएफओ चंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि, कमरे में उन्हें ब्लोअर तो आधा जला हुआ मिला था, लेकिन हीटर की कोई प्लेट नहीं मिली। एक लोहे की प्लेट जरूर मिली है, जो अक्सर हीटर की बाडी बनाने में इस्तेमाल की जाती है। इससे यह माना जा रहा है कि कमरे में ब्लोअर के साथ एक हीटर भी चल रहा था। चूंकि, हीटर की प्लेट मिट्टी को काफी पकाने के बाद बनाया जाता है, इसलिए काफी तापमान यह आसानी से झेल सकती है। इतनी जल्दी पूरी प्लेट का खत्म होना यह गले से नहीं उतर रहा है। इससे यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कमरे में हीटर चल रहा था या फिर नहीं।
15 वाट का स्वीच था आन, नहीं लगे थे ब्लोअर के तार
कमरे में लगे 15 वाट का स्वीच आन था, मगर उसमें ब्लोअर के तार नहीं लगे थे। ब्लोअर के तार स्वीच तक गए जरूर थे, लेकिन उसमें नहीं लगे होने से यह भी स्पष्ट नहीं कि ब्लोअर चल भी रहा था या फिर नहीं। फारेंसिंक टीम ने कई साक्ष्य एकत्र किए हैं।